अनगिनत सवाल
अनुत्तरित रहते
जिज्ञासा शांत न
होती
जब मन में घुमड़ते
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अशांत मन भटकता
अस्थिर बना रहता
कहीं टिक न पाता
रहता बेचैन रात
दिन |
सोचती हूँ
यह जन्म मिला ही क्यूं
यदि मिला भी तो
दिमाग दिया ही
क्यूं
रखा संतोष
सुख से दूर क्यूं ?
रह गयी कमीं
सबसे बड़ी
सब कुछ पाया
पर संतोष धन नहीं |
कहावत खरी न उतरी
संतोषी सदा सुखी
अब यही कष्ट
सालता है
हुआ वह दूर
क्यूं ?