23 जून, 2014
21 जून, 2014
मेध अषाढ़ का
विरही मन
देख काली घटाएं
हुआ बेकल
अश्रुओं की वर्षा करता
जल प्लावन का
सन्देश दे रहा
सन्देश दे रहा
मेघ अषाढ़ का
वाहक संदेशों का
उमढ़ घुमड़ आया
बरखा रानी ने दी दस्तक
पाती प्रिय की लाया |
झोंका पवन का
झझकोरता मन
मिट्टी की सौंधी सुगंध
दूर तक ले जाता
समूचा हिला जाता |
मेघ गरजता
रिमझिम
बरसता
गर्म मिजाज मौसम भी
नर्म हुआ जाता |
आशा
20 जून, 2014
कुंजी खुशहाली की
भविष्य का क्या ठिकाना
होगा क्या पता नहीं
बीता कल भी फिर से
नहीं लौट पाएगा
जिसके बल खुद को भुलाएं
सच्चाई तो यही है
खुशहाल जीवन की कुंजी
वर्तमान में ही है |
फिर क्यूं न वर्तमान में जी लें
खुशी झलकती चहरे से
उसी से संतुष्ट होलें
सुख दुःख का आकलन करलें |
आशा
19 जून, 2014
तेरी पाती
मैं धरती तू गगन
कैसे पहुंचू तुझ तक
दूरी कम न होती
यही सह न पाती |
उग्र हुआ तपता सूरज
तेरा ताप न कम होता
मैं कैसे धीर धरूं
शीतल हो न पाऊँ |
रेल की पटरियों सी
जीवन शैली दोनों की
चलती जाती दूर तलक
दूरी कम न होती |
हम दो ध्रुव धरा के
एक साथ नहीं होते
पर
है बहुत समानता
जिसे झुटला नहीं सकते |
यही बात मुझे तुझ तक
जाने कब ले आती है
दूरी दूरी नहीं लगती
जब तेरी पाती आती |
आशा
18 जून, 2014
मानव दानव हुआ
कण कण धरा का
हुआ रक्त रंजित
होते व्यभिचारों से
संवेदनाएं मर गईं
लोगों के व्यवहारों से
ना कोइ रिश्ता
सच दीखता
मानव दानव हुआ
बुद्धिहीन व्यवहार उसका
शर्मसार कर गया |
आशा
शर्मसार कर गया |
आशा
17 जून, 2014
क्या से क्या हो गयी
बरस दर बरस बीत गए
पुस्तकों से दूर हुए
पलट कर न देखा कभी
क्या हाल हुआ उनका |
सोचा अब क्या लाभ
समय बर्बाद करने का
दो काम अधिक हो सकते हैं
यदि उनको लेकर ना बैठी |
समय चक्र चलता गया
व्यस्तता कम न हो पाई
आज अचानक जाने क्यूं
पुराना जखीरा ले बैठी |
बहुत पुरानी पुस्तक थी
अक्षर घूमिल से लगे
चिन्हित अंश देखते ही
मैं विगत में खो गयी |
थी यह सबसे प्रिय मुझे
कैसे विस्मृत हो गयी
हुआ फिर अहसास
रचे गए आडम्बर का |
छलकी आँखें नीर बहा
थमने का नाम नहीं लेता
फिर भी सोचती रही
मैं क्या से क्या हो गयी |
आशा
छलकी आँखें नीर बहा
थमने का नाम नहीं लेता
फिर भी सोचती रही
मैं क्या से क्या हो गयी |
आशा
15 जून, 2014
गाँव छोटा सा
ग्राम छोटा सा
मरकत डिब्बे सा
अभिनव था |
गाँव की गौरी
सिर पर गगरी
छलक रही |
वृक्षों की छाँव
चतुष्पद धूमते
जल अभाव |
घिरे बदरा
हुआ आसमा स्याह
वर्षा आई ना|
कच्चे झोंपड़े
हरियाली के बीच
मेरे गाँव के |
हुआ आसमा स्याह
वर्षा आई ना|
कच्चे झोंपड़े
हरियाली के बीच
मेरे गाँव के |
मवेशी खड़े
प्रहरी चौराहे के
राह में अड़े |
आशा
प्रहरी चौराहे के
राह में अड़े |
आशा
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