झील सी गहराई है
लुनाई अनुपम लिए
कजरे की धार उनमें
बस एक बार जो डूबा उनमें
बापिस नहीं आता
बंधन है ही ऐसा
मुक्त न हो पाता
उस राह पर
चल कर तो देखो
लौटना होगा असंभव
बंधन अटूट
राह भुला देगा
राह भुला देगा
वहीं ठहर जाओगे
यह खता नहीं उनकी
यह खता नहीं उनकी
कारण तुम्ही बनोगे
हो जाओगे अभिभूत इतने
बाहर की राह भूल जाओगे
वे झील सी गहरी हैं
वहां से लौट न पाओगे |
आशा