23 फ़रवरी, 2017
19 फ़रवरी, 2017
अनजाने में
जब से देखा उसे यहाँ
चाल ही बदल गई है
बिना पहचाने अनजाने में
वह चैन ले गई है |
कभी सोचा न था इस कदर
दिल फैंक वह होगी
उसके बिना जिन्दगी
बेरंग हो गई है |
उसके बिना यहाँ आना
अच्छा नहीं लगता
साथ जब वह होती
जोडी बेमिसाल होती |
झरते मुंह से पुष्प
खनखनाती आवाज उसकी
उत्सुकता जगाती
उसने क्या कहा होगा |
कभी यहाँ कभी वहां
बिजली सी कौंध जाती
वह जब भी यहाँ आती
सोए जज्बात जगा जाती |
आशा
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16 फ़रवरी, 2017
15 फ़रवरी, 2017
मनुहार
उसके नयनों के वार
जैसे हों पैनी कटार
आहत कर गए
जीना मुहाल कर गए |
कुछ नहीं सुहाता
दिन हो या वार
या भेजी गई सौगात
याद रहती बस
उस वार की
पैनी कटार के धार की
उसके रूखे व्यवहार की |
उलझनों में फंसता जाता
यह तक भूल जाता
लाल गुलाब का वार है
ना कि कोई त्यौहार |
करना है प्यार का इज़हार
मनाना है उसे दस बार
धीरे धीरे कर मनुहार
न कि कर प्रतिकार |
आशा
13 फ़रवरी, 2017
11 फ़रवरी, 2017
गुड़िया (बाल कविता )
मेरी गुड़िया रंग रंगीली
बेहद प्यारी छवि उसकी
दिन रात साथ रहती
मुझे बहुत प्यारी लगती |
है बहुत सलीके वाली
होशियारी विरासत में मिली
पढाई में सब से आगे
सभी की दुलारी है
अभी से है चिंता
जब यह ससुराल जाएगी
क्या हाल होगा उसके बिना
पर जाना भी तो जरूरी है |
मैंने एक गुड्डा देखा
पर उसने नापसंद किया
फिर अपनी पसंद बताई
पर वह पूरी न हो पाई |
अब भी तलाश जारी है
गुडिया जैसा रंग रंगीला
जब पसंद आ जाएगा
वही उस का वर होगा |
आशा
07 फ़रवरी, 2017
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