घिर आई काली कजरारी बदरिया
आपस में टकराए बादल
चमकी चमचम बिजुरिया
मौसम हुआ तरवतर चौमासे में
धरती ने ओढी चूनर धानी नवयौवना सी
दादुर कोयल मोर पपीहा बोले बगिया में
मयूर ने की अगुवाई चौमासे की
अपने पैरों की थिरकन से |
मयूर ने पंख पसारे झूम झूम घूम कर
नृत्य किया बागों में
कंठ से मधुर स्वर निकाले
आकर्षक नयनाभिराम नृत्य प्रदर्शन में |
आकृष्ट किया अपनी प्रिया
को
रंगबिरंगे फैले पंखों से
नयनों से की अश्रु वर्षा भी
उसका सान्निध्य को पाने को |
छोटी बड़ी बूदें जल की मोह रही मन को
मन होता नहाए तेज बारिश के पानी में
दिल से करें स्वागत चौमासे का |
बहनों ने सोलह श्रृंगार किये हैं
भरी भरी मेंहदी सजाई है पैरों और हाथों में
पहनी है सतरंगी चूनर हाथ भर भर हरी चूड़ियाँ
जल्दी बड़ी है उन्हें अपने पीहर जाने की|
चौमासे के त्यौहार सारे मन में गहरे ऐसे पैठे
एक भी छोड़ना नहीं भाता मन को
बाट जोहती बैठी हैं वे अपने भैया के आने की
चौमासे के त्योंहार सखियों के साथ मनाने की |
ईश्वर भी आराम चाहता है चौमासे में
बहुत थक गया है दुनिया को चलाने में
कुछ काल उसे भी चाहिए प्रबंधन विश्व का करने को
चौमासे के आगे की रणनीति तय करने को |
आशा