हम दौनों
नहीं दूर कभी
सदा
हम दोनो
पास पास रहे
कभी न रहे दूर
क्या यही नहीं हैं कमी
हैं दोषी हम दौनों
सोचता रहा मैं
मन में |
२- तुम से
कब कहा मैंने
मैं रहा पास तुम्हारे
झूठे आरोप लगाए हैं तुमने
यह कैसा न्याय तुम्हारा
कहाँ गलती रही
दौनों की |
३-एक छत
के नीचे रहना
सरल नहीं लगता है
विचार नहीं मिलते जब भी
होता तकरार का निवास
कलह प्रवेश करती
जीवन बेरंग
होता |
४- क्या यही
है मेरी कहानी
जीवन थमा नहीं है
उसे जिया भी नहीं है
किससे शिकायत करूं
इसका फलसफा
है यही |
५- तुम समझो
या न समझो
मेरा कर्तव्य पूर्ण हो
मंसूबे पूरे करने तो दो
यही है ख्याल मेरा
उससे दूरी कैसी
समझने दो
मुझे |
६-तुम जानो
या नहीं मानों
हो तुम सुन्दर सी
है नाजुक नर्म स्वभाव तुम्हारा
रहीं चंचल चपल बिंदास
हो मोहिनी सी
ख्याल मेरा
ऐसा