04 जुलाई, 2022

सायली छंद

                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                               हम दौनों 

            नहीं दूर कभी 

       सदा 




पास ही रहे 

        हम दोनो 

पास पास रहे 

कभी न रहे दूर 

 क्या  यही  नहीं हैं  कमी 

             हैं  दोषी हम दौनों  

                सोचता रहा मैं 

                 मन में    |

२-   तुम से 

कब कहा  मैंने  

मैं रहा  पास तुम्हारे 

झूठे आरोप  लगाए  हैं तुमने 

यह   कैसा न्याय  तुम्हारा 

कहाँ  गलती रही 

 दौनों   की  |

३-एक छत 

के नीचे रहना 

सरल नहीं लगता है 

विचार नहीं मिलते जब भी 

होता तकरार का निवास 

कलह प्रवेश करती 

जीवन बेरंग 

होता |

४- क्या  यही 

है  मेरी  कहानी 

जीवन थमा नहीं है 

उसे  जिया भी नहीं है 

किससे शिकायत करूं 

इसका फलसफा 

है यही |

५-    तुम समझो 

      या न समझो 

 मेरा कर्तव्य पूर्ण हो 

मंसूबे  पूरे करने तो दो 

यही है ख्याल मेरा 

उससे दूरी कैसी 

समझने दो 

मुझे |

६-तुम जानो 

  या नहीं मानों 

हो तुम सुन्दर सी 

है नाजुक नर्म स्वभाव तुम्हारा 


 रहीं  चंचल चपल बिंदास 

हो   मोहिनी सी 

ख्याल मेरा 

ऐसा 


 


कितने ही मोड़ मिलते हैं जीवन की राह पर

 

संघर्ष भरे जीवन में आगे बढ़ने के लिए

किसी भी अहम पड़ाव पर पहुँचने के लिए

कितनी  मोड़ भरी राहें पार करनी होती हैं |

यह अनुभवों ने ही  समझाया सिखाया है

गंतव्य तक पहुँचने के लिए कितनी राहें खोजीं कितने ही अंधे मोड़ मिले पर मैंने अपना आपा न खोया  

 मैं आशा पर कायम रही मैंने अपना आपा न खोया |

धैर्य रखा सदा दिल में भय से कदम पीछे न हटाए  

एक यही रहा उद्देश्य मेरा गंतव्य तक पहुँचने के लिए |

यही राज छिपा कर रखा मैंने बहुत समय तक 

 जब से सबको मिली भनक इसकी तभी बेहिचक सलाह देती हूँ |

धैर्य और साहस हैं आवश्यक इतने मोड़ों वाली 

लम्बी सड़क पार करने को कितने ही मोड़ मिलते हैं

सबसे आगे बढ़ने को |

आशा