मेरी शुभकामना
मन आनंद विभोर है कि मेरी दीदी आदरणीया आशालता सक्सेना जी का एक और नवीन कविता संग्रह, ‘साँझ की बेला’ शीघ्र ही प्रकाशित होने जा रहा है ! यह उनका अठारहवाँ कविता संग्रह है ! एक साहित्यकार के जीवन में यह निश्चित रूप से एक बहुत बड़ी उपलब्धि है ! ‘साँझ की बेला’ से पूर्व उनके 17 कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं ! और हमें गर्व है कि यह उपलब्धि मेरी दीदी श्रीमती आशा लता सक्सेना जी ने अपने अथक एवं अनवरत प्रयासों से हासिल की है !
दीदी में लेखन की गज़ब की क्षमता है और वे जो भी लिखती हैं वह पाठकों के हृदय पर अपनी अमिट छाप छोड़ जाता है ! कई वर्षों से स्वास्थ्य समस्याओं से निरंतर ग्रस्त रहने के उपरान्त भी उनके लेखन की गति तनिक भी शिथिल नहीं हुई बल्कि बढ़ी ही है !
समय के साथ-साथ दीदी के लेखन में दिन ब दिन निखार आया है ! रचनाओं में संवेदना का स्तर सूक्ष्म से सूक्ष्मतर हुआ है और उनके विषयों का फलक तो जैसे आकाश से भी विस्तृत है ! उन्होंने हर विषय पर अपनी कलम चलाई है ! उनके भावों में अतुलनीय गहराई है और वैचारिक स्तर पर भी रचनाएं चिंतनीय, गंभीर एवं भावप्रवण हैं ! उनकी रचनाओं की भाषा सरल, सहज एवं सम्प्रेषणीय है और पाठकों के हृदय पर सीधे दस्तक देती है ! मुझे बहुत गर्व है कि दीदी साहित्य के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं और उनका लेखन नवोदित साहित्यकारों के लिए प्रेरणा का अद्भुत स्रोत है ! मेरी अनंत शुभकामनाएं उनके साथ हैं ! ‘साँझ की बेला’की मुझे अधीरता से प्रतीक्षा है ! आशा है यह जल्दी ही पाठकों के हाथ में होगी और अन्य पुस्तकों की भाँति ही इसे भी पाठकों का प्यार व प्रतिसाद अवश्य मिलेगा !
अनंत शुभकामनाओं के साथ,
साधना वैद
33/23, आदर्श नगर, रकाब गंज
आगरा, उत्तर प्रदेश