नील गगन में उड़ती सी एक नन्हीं परी
अनुपम रूप लिए उड़ती फिरती बेटी मेरी
सरल स्वभाव की धनी मीठी बोली बोलती
दो कुलों को निभाती सभी को प्यारी लगती
जब कहीं जाती सब का मन हर लेती
सब की सुन्दर रूप हो मोहिनी
तुमसा कोई नहीं मेरी बिटिया
अनुपम सा रूप लिए उड़ती
सब का मन मोह लेती
आगे बढ़ने का मन बनाती
कुछ नया करने की चाह रखती
दृढ़ता से कदम बढाती
हार का मुंह ना देखतीं
मुझे गर्व है अपनी बेटी पर
किया मेरा सर उन्नत अपने कार्यों से
मन फूला नहीं समाता
यही अरमां मेरा सफल मेरा करती
आशा सक्सेना