25 सितंबर, 2023

मेरीबिटिया

नील गगन में उड़ती सी एक नन्हीं परी 

अनुपम रूप लिए उड़ती फिरती बेटी मेरी 

सरल स्वभाव  की धनी मीठी बोली बोलती 

दो कुलों को निभाती सभी को प्यारी लगती 

जब कहीं जाती सब का मन हर लेती 

सब की सुन्दर रूप हो मोहिनी

तुमसा कोई नहीं मेरी बिटिया 

अनुपम सा रूप लिए उड़ती 

सब का मन मोह लेती 

आगे बढ़ने का मन बनाती 

कुछ नया करने की चाह रखती 

दृढ़ता से कदम बढाती 

हार का मुंह ना देखतीं 

मुझे गर्व है अपनी बेटी पर 

किया मेरा सर उन्नत अपने कार्यों से 

मन फूला नहीं समाता 

यही अरमां मेरा सफल मेरा करती   

आशा सक्सेना  


 

23 सितंबर, 2023

वह स्वतंत्र रूप से रहने वाली

 

वह  स्वतंत्र रूप से रहने वाली

जिसने भी दिया दखल बीच में

है वह  पलट वार करने वाली  |

कभी नहीं सोचा उसने

 भविष्य के बारे में

जिसने भी सलाह दी उसे

 मूर्ख ही  समझा उसको 

मन संताप से भरा उसका |

वह  दख़लअंदाज़ी सह ना पाई

उसने उससे किनारा किया

मन से दूर रखा उसको

कभी फिर पास आने ना दिया |

कोई कुछ कहे सुने या बीते कल को दोहराए यह आजादी ना दी उसने कभी 

तभी समाज में स्थान बना पाई

अपनी स्वतंत्रता को तर्क कुतर्क से रखा दूर |

मन का संतुलन बनाए रखा

किसी को नहीं दिखाया  अपनी परेशानी को

कोई अंदाज भी ना कर पाया

उसकी समस्या क्या है |

उसने एक ही सिद्धांत अपनाया

 अपनी समस्या का उसे ही हल निकालना है

कोई अन्य की सहायता नहीं स्वीकार उसे

कोई सहायता तो करता नहीं

पर व्यवधान डालने में अधिक आनंद लेता |

आशा सक्सेना 

 

 

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सुख दुःख

 सुख दुःख सब याद करते

पर दुःख से कम कोई नहीं

जितना उसे याद करते

उसे भूल नहीं पाते

सभी जानना चाहते कारण उदासी का

कहते गम खाओ किसी से पंगा ना लो

समझोता करना भी सीखो

खुशियों से हाथ मिलाओ

पर तुम इनसे समझोता ना कर पाते

मन ही मन असंतुष्ट रहते

कोशिश भी करते पर

 असफलता ही हाथ लगती

अपना प्रारब्ध मान इसे

गहरी उदासी में खो जाते

तभी मन की आवाज सुनते

फिर से कोशिशों में जुटते

मन कहता कभी उसकी भी सुनो

फिरसे प्रयत्नों में जुट जाते

और सफलता पाते

कभी हारने को तैयार  नहीं होते  

यही सीखा है समाज से आगे बढ़ो

हार को नकार दो

 समय का सदुपयोग करो 

उपहार में जीत को पल्ले से बाधो

आगे बढ़ने की ठानो 

सही राह पर चलकर

सलाह को सत्कार करो |

22 सितंबर, 2023

हाइकु

१- दीप जलाए 

भजन गाते रहे 

लक्ष्मी पूजन 

२- है दीपावली 

घर स्वच्छ किया है 

दीप जलाए 

३-किसी ने कहा 

तुम कब आओगे 

दीबाली बीती 

४-तुम ना आए 

राह देखी तुम्हारी 

त्यौहार बीता 

५-जले दीपक 

लक्ष्मीं आ गई है 

आज के दिन 

६-खुशिया लाई 

दीपावली की रात 

वाग मती ने 


आशा सक्सेना 



20 सितंबर, 2023

साथ तुम्हें लाए गणनायक

 

कल आए गजानन गणनायक

साथ ले आगत को अपने

कल आए गजानन गणनायक

साथ ले आगत को अपने

ड़ाला आसन आगत ने प्रभु के समक्ष

माँगा  वर सर पर रखव़ा कर हाथ |

घर के लोगों ने आगत का स्वागत किया

पूरे  स्नेह से फिर किया पूजन अर्चन दिल खोल के

तुम्हारा  भी पूजन करवाया साथ में अपने रह कर

सभी ने तारीफ की आपकी और उसके स्नेह की|

ड़ाला आसन आगत ने प्रभु के समक्ष

माँगा  वर सर पर रखव़ा कर हाथ |

घर के लोगों ने आगत का स्वागत किया

पूरे  स्नेह से फिर किया पूजन अर्चन दिल खोल के

तुम्हारा  भी पूजन करवाया साथ में अपने रख  कर

कल आए गजानन गणनायक

साथ ले आगत को अपने

ड़ाला आसन आगत ने प्रभु के समक्ष

माँगा  वर सर पर रखव़ा कर हाथ |

घर के लोगों ने आगत का स्वागत किया

पूरे  स्नेह से फिर किया पूजन अर्चन दिल खोल के

तुम्हारा  भी पूजन करवाया साथ में अपने रह कर

सभी ने तारीफ की आपकी और उसके स्नेह की|

सभी ने की सराहना आपकी और उसके स्नेह की|

19 सितंबर, 2023

जय गणेश

 जय गणेश 

प्रथम पूज्य सदा 

पूजे जाते हो 


सुशोभित है 

मंदिर है आपका 

आज विशेष 


कोई कामना 

नहीं रही  अधूरी 

पास आ तेरे 


मैंने पुकारा 

दिल से तुमको ही  

हुई  सफल 


जय गणेश 

 सुख  करता गजानन 

स्वामी  मेरे 


अपनी ढपली अपने गीत

 अपने गीत अपनी ढपली 

किस तरह की दखलंदाजी 

नहीं किसी रचना में 

है स्वतः लिखी हुई हो |

जो आनंद आता है 

अपनी रचना के पढने में 

उसकी कोई बराबरी नहीं 

मन फूला फूला रहता है 

अपने कृतित्व को देखने में 

तब  और आनंद आता है 

दूसरों के प्रोत्साहन के शब्दों में |

जब अवसर मिलता है 

झूम झूम कर गाती हूँ 

बड़े प्यार से ढपली बजाती हूँ 

देर नहीं लगती 

सुनने वालों की दाद समेटने में 

यही धन संचित किया मैंने 

आज तक गीतों के मेले मैं

 |यह है आत्म मुग्धता का एक

सजीव उदाहरण जिसे मैंने अपनाया  

दिल खुशी से भर गया 

औ आ रों को भी हर्षाया है ||


आशा सक्सेना