11 दिसंबर, 2023

किसी के प्यार को तोला नहीं का सकता

 

किसी के प्यार को तोला  नहीं जा सकता

कोई नाप नहीं उसे मापने के लिए

जिसने भी यह कोशिश की वही मात खा गया

यह तो एक आतंरिक भावना है |

 जो बिना मतलव के  उत्पन्न होती है

 जिसे दिल से केवल अनुभव किया जाता है

यदि दिल को आभास हुआ थोड़े से झुकाव का

समझ लो प्यार हुआ वरना सब दिखावा है |

सच्चे प्यार को जब चुनते हैं दिल और दिमाग

 दिमाग दौनों का उपयोग है आवश्यक प्यार के लिए

केवल मीठी बाते नहीं कह पातीं मन क्या चाहता

कभी कटु भाषी भी प्यार करता है |

 उसे शब्द नहीं मिलते भावनाओं को दर्शाने के लिए

यहीं जा कर वह हार जाता है प्यार को दर्शाने में

क्षेत्र में  कभी तो सफलता मिलेगी उसे  | 

|सारी जिन्दगी एक ही कार्य करने से

मन कभी बोझिल हो जाता है

यदि कोई बदलाव नहीं किया

मनो स्थिति

 


 मन कभी  स्थिर नहीं रहता

किसी से दुःख बांटना नहीं चाहता  

यदि कोई ऐसा मिल जाए तो क्या बात है

 मन को तो सहारा चाहिए |

 किसी बात से जब मन दुखी हो जाता है

 वह एकांत चाहता है यदि वह नहीं मिले  

तब मन  ऐसा अभिन्न मित्र चाहता है जो

उसे समझ सके अपनी बात समझा सके |

अपनी बात स्पष्ट ऐसे कर सके 

उसे समझा सके जिससे 

वह पूरी तरह उसके 

मन में उतर पाए|

उसका असंतोष कहीं खो जाए 

उसके आनन पर प्रसन्नता आए

उसकी  ख़ुशी की  झलक 

 चहरे पर आए

आशा सक्सेना  

 

 

09 दिसंबर, 2023

कोशिश .में कमी न होनी चाहिए

 

कोशिश में कमी होनी न चाहिये

प्रयत्न करते रहना चाहिए

पूरी शिद्दत से |

है  जीवन एक जटिल पहेली

 नहीं आसान इसे हल करना

इसको हल करने में

जीवन बीत जाएगा  |

 हल निकले जब  कोई

 खुद को सफल मान लेना

और असफल रहने  पर

 कभी हार न मानना |

फिर से प्रयास रत रहना

सफलता हाथ आते ही

खुद को सक्षम  समझना

 यही एक तरीका है खुश रहने का |

वही सफल है जीवन में

जो असफल होने से नहीं डरे

हार नहीं  माने किसी से

किसी बैसाखी की चाह रहे |

आशा सक्सेना

 

 


07 दिसंबर, 2023

करवटें बदलती जिन्दगी

 

करवटें बदलती जिन्दगी 

जिन्दगी करवटें लेते गुजरी

कोइ काम किया ना किया

कुछ भी रचनात्मक न हो सका

जीवन जिया या ना जिया हमने  |

किसी भी आकर्षण ने बरबाद ना  किया  

मनमानी की आदत ने

 समाज से भी दूर किया

खेरियत यही रही सीधी राह पर चले 

यहाँ तक आते आते राह नहीं भटके

बचपन में जो देखा सुना था

 गहरा प्रभाव रहा मन में |

 एक बात अच्छी रही

 किसी का प्रभाव नहीं पड़ा मन में

अपना वजूद ना खोया हमने |

हम तो हम थे अंधभक्त नहीं  

जहां थे वहीं रहे आगे बढ़ने की चाह में

 कुछ नया नहीं सीखा हमने सद्गुणों के सिवाय  

कुप्रभाव से दूर रहे यही क्या कम है |

किसी के प्रभाव में नहीं आए

कितनी बार विचार मन में आया

अकेले जीवन गुजरेगा कैसे

किसी को समय नहीं हमारे लिए |

पुस्तकों से अच्छा कोई मित्र नहीं

समय कहाँ कट जाता है पता नहीं चलता |

क्षणिका

दो शब्द खो गए दूसरे शब्दों  से  मिल कर 

हिरा गए   कहीं जा कर 

खोजा मन के  हर कौने में 

बाहर भी खोजा गहराई से 

सिर्फ वहीं नहीं मिल पाया  

 मेरे भाव भी सारी जिन्दगी

वहीं अटक कर रह जाते हैं  |

 

एक ही कार्य करने से

मन कभी बोझिल हो जाता है

यदि कोई बदलाव नहीं किया

 जीवन बेरंग हो जाता है 

 किसी काजल की कोठरी में |

सिमट कर रह जाता है |


जिसने कहा कार्य बदलो 

मन डावाडोल नहीं होगा 

उस  ने बहकाया है तुम्हें 

तुम एक कार्य ही चित्त लगा  कर करो 

उस कार्य में आनंद आजाएगा |


|शिद्दत से किया कार्य व्यर्थ नहीं जाता

 मार्ग पर जाने से आगे का मार्ग प्रशस्त होता 

वह सही मार्ग ही दिखलाता 

आगे सफलता मिलती है

महनत व्यर्थ नहीं जाती 

सफलता जीवन में रंग भरती है |

|आशा सक्सेना 

झुकाव धर्म की ओर

 

झुकाव धर्म  की ओर

हुआ  जीवन अधूरा तुम्हारे बिना

पहले भी खालीपन रहता था

जब कभी तुम बाहर जाते थे

जल्दी ना लौट पाते थे |

आते ही मेरी  शिकायतों की

 दुकान लग जाती थी

फिर भी  देर तक रूठी ना रह पाती थी

मन ही जाती थी |

अब वह भी संभव नहीं

तुमने साथ जब  छोड़ा मैं  अकेलेपन से घिरी

अब किसी का साथ नहीं है

मन पर बोझ भारी है |

कितनी कोशिश करती हूँ

मन को व्यस्त रखने की

पर चित्त एकाग्र नहीं हो पाता

कैसे उसे समझाऊँ ,यह किसी ने न बताया  |

धीरे धीरे आध्यात्म की ओरझुकाव होने लगा

 शायद सफल हो पाऊं इसमें कुछ तो कर  पाऊं

प्रभु को पाकर ही अपने को धन्य मानूं |

आशा सक्सेना

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06 दिसंबर, 2023

अंतर राष्ट्रीय बालिका दिवस

 

है आज बालिका दिवस

बड़ी खुशी होती यदि

केवल  कागज़ पर न मनाते इसे

जो बड़ी बड़ी बातें करते मंच पर

उनका अमल जीवन में न  करते

 सही माने में उसे  मनाया जाता |

बालिकाओं को केवल 

दूसरे दर्जे का नागरिक न कहा जाता  

उन्हें अपने अधिकारों से 

वंचित न किया जाता

आज के युग में बड़ी बड़ी बातों को

बहुत विस्तार से प्रस्तुत किया जाता

जब सच में देखा जाता

मन को कष्ट होता यही सब देख

कथनी और करनी में भेद भाव क्यों ?

हमारा प्रारम्भ से ही अनुभब रहा

कितना भेद भाव रहता है

लड़कों और बालिकाओं के

 लालन पालन में

 बहुत दुभांत होती है दौनों में  |

हर बार वर्जनाएं सहनी पड़ती है

 बालिकाओं को

लड़कों को किसी बात पर 

 रोका टोका नहीं जाता

इसी व्यबहार से  मन को 

बहुत कष्ट होता है

यदि  सामान व्यबहार किया जाता दौनों में

 ऐसे दिवस मनाने न पड़ते |

लोग अपने बच्चों

में भेद न करते

सबसे सामान

 व्यवहार करते से  

कथनी और करनी में

कोई भेद न होता

क्या आवश्यकता रह जाती 

बालिकाओं के संरक्षण की

वे भी सामान रूप

 से जीतीं खुल कर |

 

आशा सक्सेना