रात चांदनी महकी रात रानी
उस बाग़ में
तर्क कुतर्क बहस बेबात की
सोने न देती
दीखता नहीं हाथों को हाथ यहाँ
छाया कोहरा
फैला कुहासा सो गई कायनात
फैला कुहासा सो गई कायनात
आँखें न खुलीं
जाड़े की रात कहर बरपाती
रुकी जिन्दगी
एहसास है निर्धन बालक को
है सर्दी क्या
जला अलाव आतेजाते अपने
हाथ सेकता
बर्फ बारी में ठंडक से हारा है
जीत न पाया
ठण्ड की रात वर्षा बेमौसम की
कुल्फी जमाती |
आशा
बर्फ बारी में ठंडक से हारा है
जीत न पाया
ठण्ड की रात वर्षा बेमौसम की
कुल्फी जमाती |
आशा