१
रूप खिले कमल के फूल सा
महकता तन मन संदल सा
गाता गुनगुनाता सुनता सुनाता
चहकता स्वर उपवन में पंछी सा ।
२
बरसों के बिछुड़े अब मिले
तब जा कर दिल से दिल जुड़े
मनवा बेचैन कुछ कहे न कहे
आँखें तरस गईं थीं बिना मिले ।
३
प्रातः बेला में खिली कुमुदनी
यही उसे जीवंत बनाती
मीठी सी मुस्कान लिए
बधाइयों की झाड़ी लगाती |
३
प्रातः बेला में खिली कुमुदनी
यही उसे जीवंत बनाती
मीठी सी मुस्कान लिए
बधाइयों की झाड़ी लगाती |
आशा