देने को बहुत कुछ है
यदि हो विशाल हृदय
लेने के लिए होतीं
वर्जनाएं बहुत
दोनों हाथों से लिया जाता
या फैला कर आँचल
माँगा जाता
समेटा जाता
जितना उसमें समाता
अधिक की इच्छा पूर्ण नहीं होती
अधिक भरने पर
सब बिखर जाता
प्रलोभन में आकर
इच्छा विकट रूप लेती
पैर बहक जाते
ग़लत मार्ग अपनाते
असाध्य आकांक्षाओं की
पूर्ति नहीं होती तो
पूर्ति के लिए राह भटक जाते
जो दिल से धनवान होते
वे ही दरिया दिल कहलाते !
आशा सक्सेना