09 अक्तूबर, 2020

तलाश खुशी की

 

 


                                           तलाश खुशी की
है 

हर समय की उदासी कैसे कोई सहन  कर पाए

जीवन में कुछ भी नहीं है

जो वह  कुछ भी सहन ना कर पाए |

जितनी भी कोशिश की सभी व्यर्थ नजर आई

सह न पाई हंसी मजाक का तौर  तरीका

मनन किया कितना घटिया

 है स्तर इनकी सोच का

पहले टोकना चाहा फिर मौन हुई

खुद में ही सिमट कर रह गई |

जिसकी जैसी सोच वह वैसे ही करे व्यवहार

दूसरों पर फबतियां कसना कोई कैसे सहन करे

आखिर उसकी भी है तो कोई मन  मर्जी है

केवल उदासी ही नहीं है जीवन  का एक लक्ष्य |

 कभी खुशी की भी तलाश  होती है

पर  किसी निश्चित सीमा तक

 उसका जीवन सीमाओं में बंधा है

उनका  उल्लंघन रास नहीं आता उसे |

 

आशा  

 

  

07 अक्तूबर, 2020

मस्तिष्क



                                      हर हाल में मस्तिष्क सक्रीय रहता है

सुख़ से  हो या दुखी कभी निष्क्रीय नहीं होता

कोई बात उसे चिंतित नहीं करती

हर समय व्यस्त रहता है अपने कार्य में |

जब निष्क्रीय होने लगता है

कहा जाता है वह  मृत हो गया है

अब कभी चेतना नहीं जागेगी

जीवन भर ऐसे ही जीना होगा |

पर यदि चमत्कार हो जाए

वह फिर  सचेत हो कर कुछ कार्य करे

ईश्वर की मेहरवानी हुई है उस पर

यही तो कहा जाता है |

 यह सब भूल जाते हैं  है तो वह एक मशीन ही 

कब तक सक्रीय रहेगी कभी तो साथ छोड़ेगी 

पर सच्चाई से दूर न हो कर स्वीकारना ही होगा

 है यथार्थ यही जिससे मुख मोड़ रहे हैं |

06 अक्तूबर, 2020

कोयल की मीठी सी बोली

वाणी का माधुर्य

कानों में मधुर  रस घोले

है वही भाग्यशाली जो

उसका अनुभव  करे |

जितनी मिठास बोली में होगी

कभी अनुभव तो की होगी

उससे बंचित रहे यदि

बड़ी अनहोनी झेली  होगी |

मीठी मिश्री सी बोली

भाग्य की नियामत है

प्रभु की दी सौगात है

सब के नसीब में कहाँ |

आशा