वाणी का माधुर्य
कानों में मधुर रस घोले
है वही भाग्यशाली जो
उसका अनुभव करे |
जितनी मिठास बोली में होगी
कभी अनुभव तो की होगी
उससे बंचित रहे यदि
बड़ी अनहोनी झेली होगी |
मीठी मिश्री सी बोली
भाग्य की नियामत है
प्रभु की दी सौगात है
सब के नसीब में कहाँ |
आशा
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना की सूचना के लिए आभार सर |
बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंसच में ! वाणी का माधुर्य प्रभु की देन ही है !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद स्मिता टिप्पणी के लिए |
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