03 अक्टूबर, 2020

एक पथिक

 


हे क्लांत पथिक

क्यूँ छाँव देख

 विश्राम नहीं करते

है ऐसा क्या वहां

 क्यूँ  पहुँचाने की

 जल्दी है तुम्हें |

यह तक भूले

हो कितने परेशान

इस विपरीत मौसम में |

यदि बीमार पड़े

 तो कौन साथ देगा

तब कोई सहायता

 नहीं कर पाएगा |

तब पछतावा होगा

काश कहना

मान किया होता

यह दिन तो न

 देखना   पड़ता |

अभी तक खूब आगे

निकल गए  होते

गंतव्य के बहुत

 नजदीक  होते |

आशा     




8 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  2. सुप्रभात
    सूचना के लिए आभार सर |

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