02 जनवरी, 2021


     मुझे बहुत प्रसन्नता होरही है अपने  (बारहवा काव्य संकलन ) अपराजिता का कवर पेज आपसे सांझा कर के |


31 दिसंबर, 2020

सोचो क्या करना है ?

 


                                                             मन मेरे सोचो क्या करना है ?

आने वाले कल के लिए

कोई उत्साह नहीं है अब  

जीवन की शाम का

इंतज़ार कर रहे हैं |

हर लम्हा पुकार  रहा है

प्रभु का भजन करो

उसके सानिध्य में जाओ

उसका गुणगान करो |

समय व्यर्थ न गवाओ

भर पूर जिन्दगी जी ली  है

अब और की लालसा न रखो

यह न सोचो आगे क्या होगा |

हर वर्ष की तरह यह वर्ष भी

आया है बीत ही जाएगा

माया मोह से बचो

कुछ नेकी के काम करो |

आशा

 

29 दिसंबर, 2020

सर्दी (हाईकू )




१- सर्द हवाएं
चैन न लेने देतीं
बेचैनी होती
२-यही मिजाज
मौसम का आलम
सहा न जाए
३-अती ना भली
सर्दी हो या गर्मीं हो
कभी न फली
४-यह गरीबी
वस्त्र न तन ढकें
सर्दी के मारे
५-बर्फ ही बर्फ
चारो ओर बिखरी
सही न जाए 
६-सर्दी की मौज 
ठन्डे स्थानों  में मिले 
जा कर देखें

आशा



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    28 दिसंबर, 2020

    ओस की नन्हीं बूँदें


                                                                        ओस की  नन्हीं बूँदें  

    हरी दूब पर मचल रहीं  

    धूप से उन्हें  बचालो

    कह कर पैर पटक रहीं |

    देखती नभ  की ओर हो भयाक्रांत  

    फिर बहादुरी  का दिखावा कर

    कहतीं उन्हें भय नहीं किसी का  

    रश्मियाँ उनका  क्या कर लेंगी |

    दूसरे ही क्षण वाष्प बन

    अंतर्ध्यान होती दिखाई देतीं  

    वे छिप जातीं दुर्वा की गोद में

    मुंह चिढाती देखो हम  बच गए  |

    पर यह क्षणिक प्रसन्नता

    अधिक समय  टिक नहीं पाती

    आदित्य की रश्मियों के वार से

    उन्हें बचा नहीं पाती |

     

    आशा

     

     

    25 दिसंबर, 2020

    क्रिसमस पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं

    क्रिसमस के पावन अवसर पर आप सब को हार्दिक शुभ कामनाएं |
    नयासाल खड़ा दरवाजे पर
    साथ में ढेरों खुशियाँ लिए
    कटुता मन से रहे दूर
    रहें सदा स्नेह का गुलदस्ता लिए |
    आशा

     

    जान सांसत में

     

    जान सांसत में

    एक जंगल में एक पेड़ के नीचे बहुत से पशु पक्षी एक साथ रहते थे |उन में आपस में कभी भी तकरार नहीं होती थी |सब मिल जुल कर रहते थे |आपस में हर समस्या का हल खोजने की क्षमता थी उनमें |किसी बात पर बहस नहीं करते थे |यदि किसी ने कोई बात कही होती उस पर पहले मनन चिंतन करते फिर उस कार्य को अंजाम देते |

       एक दिन दो व्यक्ति भी उसी पेड़ के नीचे आकर रुके |थोड़ी देर तो शांती रही फिर बिनाबात बहस में उलझे रहे |धीरे धीरे बहस इतनी उग्र हो गई कि दौनो में हाथापाई होने लगी |कुछ देर तो पशुपक्षी मूक दर्शक हो कर यह नजारा देखते रहे |पर फिर एक गाय ने बीच बचाव करने की कोशिश की |वह बोली आपस में क्यूँ लड़ रहे हो हमको देखो हम तो अलग अलग जाति के लोग है पर फिर भी आपस में नहीं झगड़ते |तुम तो दोनो ही मनुष्य हो |फिर भी एक दूसरे  के खून के प्यासे हो रहे हो |संसद का नजारा दिखा रहे हो

          तुम यहाँ से चले जाओ नहीं तो तुम्हारी यह आदत हमारे ऊपर भी बुरा असर डालेगी |यदि यहाँ रहना चाहते हो पहले मिलजुल कर रहना सीखो |तुमसे तो हम ही अच्छे हैं |हम  किसी भी प्रकार का बैर मन में नहीं रखते |अब बिचारे मनुष्यों की जान सांसत में  आगई वे तो राजनीति के अखाड़े से आए थे ||वह या तो चले जाएं या अपने स्वभाव में परिवर्तन करलें |दोनो ही सोच में पड़ गए अपनी गलती का एहसास हुआ और मन में पश्च्याताप |करें तो क्या करें |वे थे आदतों से लाचार |मन मसोस कर रह गए |

    आशा