03 फ़रवरी, 2014

हुआ वह दूर क्यूं ?



अनगिनत सवाल
अनुत्तरित रहते
जिज्ञासा शांत न होती
जब मन में घुमड़ते |
अशांत मन भटकता
अस्थिर बना रहता
कहीं टिक न पाता
रहता बेचैन रात दिन |
सोचती हूँ
 यह जन्म मिला ही क्यूं
यदि मिला  भी तो
दिमाग दिया ही क्यूं 
रखा संतोष सुख  से दूर क्यूं ?
रह गयी कमीं सबसे बड़ी
सब कुछ पाया
 पर संतोष धन नहीं |
कहावत खरी न उतरी
संतोषी सदा सुखी
अब यही कष्ट सालता है
हुआ वह दूर क्यूं  ?

02 फ़रवरी, 2014

मधुमास में

मुझे आप सब के साथ अपनी ८०० वी पोस्ट शेयर करना बहुत अच्छा लग
रहा है |आशा है आपको मेरी ये रचनाएं पसंद आएंगी ||
१-मन बावरा
खोज रहा गलियाँ
जहां खो गया |

२-यूं विलमाया
रमता गया वहां
मन मोहना |

३-प्रीत अभागी
कहीं मन का मीत
खो न जाए |


४-माया में लिप्त
मद मत्सर जागे
मोह छूटे ना |


५-वह खोजती 
उस मन का कोना 
जहां प्यार हो |

६-झीना आंचल
मदमस्त मलय
ले चली उड़ा |

7-उलझी लट
खुद से बेखबर
रूप अनूप |

८-आया बसंत
पीली सरसों फूली
धरा जीवंत |

९-मधुमास में
महुआ गदराया
हाथी है मस्त |

आशा





01 फ़रवरी, 2014

आया वसंत



पीले लाल रंगबिरंगे
पुष्प सजे वृक्षों पर
रंग वासंती छाया
धरती की  चूनर पर |
धरा सुन्दरी सजती सवरती
नित नवल श्रृंगार करती
राह प्रियतम की देखती
इस प्यारी  सी ऋतु में |
सारे  पर्ण  किलोल करते
मदमस्त मलय से चुहल कर
करते अटखेलियाँ पुष्पों से
वासंती रंग में रंग जाते |
चंचल चपल विहग
 आसमान में उड़ उड़ कर 
अपनी प्रसन्नता जाहिर करते
नव किश्लय करते स्वागत तब
इस अभिनव ऋतु का |
दृश्य वहीं ठहर जाता
मन की आँखों में छिप जाता
माँ सरस्वती का ध्यान कर
स्वागत वसंत का होता |
आशा

30 जनवरी, 2014

यह क्या ?


यह क्या कहा
कैसा सदमा लगा
मैं भूली ना |

लिखी किस्मत
 न विधाता ने मेरी
भूल किसकी |

सेतु बंधन 
एक सरिता पर 
दो कूल मिले |

लगता दाग 
दामन भविष्य का 
है दाग दार |

आसमान में
काले भूरे बादल
बरसे झूम |

अश्रु झरते
अधर हुए शुष्क
भीगी पलकें |

दुखित मन
हाल देखा देश का
कोई न हल |

जला अलाव
एहसास गर्मीं का
बचा सर्दी से |

आशा

27 जनवरी, 2014

26 जनवरी, 2014

भीगी चुनरी

1-भीगी चुनरी
यदि वर्षा न होती
खीज न होती |
2
तेरा प्यार भी
मन को नहीं छूता
इकरार भी |
3

खिलती कली
विरवाई में दिखी
दिल छू गयी |
हावी बुराई
दब गयी अच्छाई
कहीं खो गयी |


दोस्ती फूलों से 
जो सुकून दे जाती 
कहीं न पाती |
आशा