19 दिसंबर, 2014
17 दिसंबर, 2014
है बदला सर्वोपरी
है मन उदास अशांत
सोच हावी है
सुबह से शाम तक
है जंग विचारों की
बच्चे तो बच्चे हैं
काले हों या गोर
इस देश के या उस देश के
कैसा कहर वरपाया
मासूम नौनिहालों पर
इंसानियत होती है क्या
शायद नहीं जानते
दीन ईमान कुछ भी नहीं
है बदला सर्वोपरी
दहशतगर्दों के लिए
एक बार भी नहीं सोचा
क्या बिगाड़ा था बच्चों ने
यह कौन सी मिसाल
कायम की है
बदले की भावना की
यदि यह हादसा पहुंचता
उनके खुद के बालकों तक
तब भी क्या यही
प्रतिक्रया होती
है बदला सर्वोपरी |
आशा
जीवन के रंग
रंग विशेष
झलके जीवन से
मन अनंग |
विविध रंग
केनवास व् कूची
जीवंत दृश्य |
झलके जीवन से
मन अनंग |
विविध रंग
केनवास व् कूची
जीवंत दृश्य |
लालिमा लिए
कपोल कामिनी के
कुछ कहते |
रंग रसिया
ओ रे मन बसिया
रंग न लगा |
भीनी महक
पहचान है तेरी
मैं जान गई |
जागी उमंग
तेरे रंग में रंगी
दूजा रंग क्या |
महक तेरी
वह जान जाती है
बिना बताए |
गंध हिना की
दर्ज कराती रही
उपस्थिति की |
तू क्या जाने
तेरी पहचान है
तेरी महक |
आशा
कपोल कामिनी के
कुछ कहते |
रंग रसिया
ओ रे मन बसिया
रंग न लगा |
भीनी महक
पहचान है तेरी
मैं जान गई |
जागी उमंग
तेरे रंग में रंगी
दूजा रंग क्या |
महक तेरी
वह जान जाती है
बिना बताए |
गंध हिना की
दर्ज कराती रही
उपस्थिति की |
तू क्या जाने
तेरी पहचान है
तेरी महक |
आशा
15 दिसंबर, 2014
12 दिसंबर, 2014
उड़ान
दिन चढ़े सूरज सर पर
हुई धुन सवार
सुर्खाव के पंख लगाकर
की कोशिश पंछी सी `
ऊंची उड़ान भरने की
छूने को नभ में निर्मित
आकृतियों को
रूप बदलते बादलों को
पर उड़ न सकी पटकी खाई
मन कुपित गात शिथिल
फिर भी ललक उड़ने की
गिर कर ही उठना सीखा था
उंगली पकड़ चलना सीखा था
फिर उड़ने में भय कैसा ?
उलझन बढी पर मन न डिगा
यही जज्बा कर गया सचेत
थकावट का नाम न रहा
तन मन हुआ उत्फुल्ल
विश्वास की सीड़ी
इतनी कमजोर भी नहीं
साहस का है साथ
लक्ष्य भी निर्धारित है
तब असफलता से भय कैसा
सफलता जब कदम चूमेंगी
उस पल की कल्पना ही
मन स्पंदित कर देती
एक नया जोश भरती |
एक नया जोश भरती |
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