17 फ़रवरी, 2015

है व्यर्थ सब सोचना

प्रेम रंग में रंगी
कल्पना में खोई
है सत्य क्या भूल गई
भ्रमित हुई
 बहुत जोर से ठोकर खाई
तब भी न समझी 
गर्त में गिरती गई 
अश्रुपूरित नेत्र लिए 
अवसाद में डूबी 
अपना आपा खो बैठी
खुद को ही भूल गई 
यह तक न समझ पाई 
वह प्रेम था या वासना 
अब व्यर्थ है ये सब सोचना !

14 फ़रवरी, 2015

खिले सुमन

मन के गीत 
विभावरी की गोद 
स्वप्न सजाते |

खिले सुमन 
चहुदिश बिखरे
 मदिर गंध |

कितना सहे 
क्यूं सहे यह पीड़ा 
अवला नारी|
जन्म उसका 
है ईश्वर का तोफ़ा
ना कोई पाप |

आशा





























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13 फ़रवरी, 2015

हाईकू



दात्री ऊर्जा की
किरण आदित्य की
जीवंत जग |

स्त्रोत ऊर्जा का
अक्षय ही रहता
सृष्टि चलाता |

सूरज चन्दा
बंधे एक डोर से
नियामक की |

बंधन बड़ा
हर कण कण में
सूर्य ऊर्जा से |
आशा

11 फ़रवरी, 2015

अग्नि





आहुति देती
दीपशिखा अपनी
मार्ग दिखाती !
अनोखी गल्प
जंगल में आग सी
फैलती गयी !
जंग की आग
विनाश की कगार
है अभिशाप !
सूर्य का तेज
अग्निपुंज प्रखर 
होता विशिष्ट !
आशा

06 फ़रवरी, 2015

दुल्हन




संग पिया के
स्वप्न सजे आँखों में
सजनी चली !

नवजीवन
कदम बढ़ाए हैं
दुलहन ने !

अवगुंठित
लावण्यमयी वह
दुलहन है !

मन मुदित
चंचल चितवन
परणीता है  |

आशा

30 जनवरी, 2015

जिन्दगी की जंग में



जिन्दगी की जंग से  
जूझते जो नित  
बिरले ही  जीत पाते हैं
उसकी व्यथाओं से  | 
सेहरा जीत का 
चाहते सभी 
 चन्द  ही भाग्यशाली  
 जी पाते  ये पल |
तिलतिल मरना 
उन्हें रास नहीं आता 
एकाएक जीने की आशा 
बलबती मन में |
पाकर स्वप्न सुन्दरी 
सजाते हैं एक आवरण 
अपने  इर्दगिर्द
अनुभव सजाना चाहते
आसपास सभी |
सफलता  चूमती  उनके कदम 
घोडी चढ़
वह उच्च शिखर 
  छूना  चाहते सभी 
पर चन्द लोग ही
 जी पाते है 
ऐसे अदभुद  क्षण 
आशा





29 जनवरी, 2015

फागुन आने को है

उड़ने लगा गुलाल
फागुन आने को है
राधा ने किया सिंगार
वसंत जाने को है
गोपियाँ ताकती राह
बाँसुरी बजने को है
यमुना में आया उछाल
लहरें तट छू रहीं
कान्हां मयहोने को
बेकल होती जा रहीं
पूरे होने को हैं अरमान
फागुन आने को है |
आशा