हो मुदित दीपक जलाओ
प्यार से उपहार लाओ
प्यार बांटो प्यार
पाओ
इस क्षण भंगुर जीवन
में
यही पल मधुर लगते
हैं
इन्हें जियो
जितना चाहो
बाती कपास की स्नेह
से भरपूर
अपना स्वत्व भूल स्वयं
जलती है
पर जग जगमग करती
है
उसी भाव को अपनाओ
स्नेह के दीपक
जलाओ
मेल मिलाप भाईचारा
हैं इस पर्व की
विशेषता
मन से इनको अपनाओ
सौहार्द का आग़ाज
कर
तिमिर को दूर
भगाओ
है यह पावन पर्व
रौशनी का
दीप जलाओ दीप
जलाओ
मन का अन्धकार
मिटाओ |
आशा