22 अक्तूबर, 2018

पल


पल पल बढ़ता
तिल सा चटकता 
महकता बेला गुलाब
चम्पा चमेली सा |
हर पल जीना चाहता
भयाक्रांत न होता
कभी ठहरना
किसी पल में
खुद के हाथ में नहीं |
|अंतिम पल ही है एक
जिस की जानकारी
किसी को नहीं
पर यहीं वह पल है
जिसकी बेचैनी
से प्रतीक्षा  है |

आशा

21 अक्तूबर, 2018

कहाँ कमी रह गई



कहाँ कमी रह गई
बच्चों के पालन पोषण में  
  संस्कार विहीन
 पैदा हुए |
कभी कभी ऐसा लगता है
 बदल तो न गए हों
या मुझमें ही कोई
 कमी रही हो
जो मैं  ठीक  ढंग से
 उनके व्यवहार को
 सही दिशा न दे  पाई
पर अन्दर
 झाँक कर देखा
आत्म विश्लेषण लिया
कहीं कोई कमी
 न दिखाई दी
किसको दोष दूं 
खुद को या  प्रारब्ध को
या भगवान की
 दी हुई सजा मानू
जाने किस जन्म की 
सजा दी है मुझे |

आशा

19 अक्तूबर, 2018

दमकते दीप घर दहलीज




घर-घर सजा
बिजली की लड़ियों से
रौशन हर कोना हुआ घर का
अब हो रहा इन्तजार
लक्ष्मी के आगमन का |
जगमगाते दीप हर लेते तम
एक अनोखा मंजर होता
नन्हें नन्हे जलते दीपकों का  
जो टिमटिमाते रात भर
हवा के झोंकों से भी न डरते
डट कर सामना करते
यह शक्ति उन्हें मिलती
लक्ष्मी की कृपा से |
बच्चे मगन पटाखों का
कर रहे इन्तजार बेसब्री से
घर में बने पकवानों का
जब तक पूजा नहीं होती
वे बेसब्री से राह देखते |
है दीपमालाओं का त्यौहार
प्रेम प्रीत का उपहारों का
यह लक्ष्मी पूजन का त्यौहार 
प्रेम प्रतीक खुशियों का त्यौहार
सारे साल रहता इन्तजार इस  का |



 


आशा