पल पल बढ़ता
तिल सा चटकता
महकता बेला गुलाब
चम्पा चमेली सा |
हर पल जीना चाहता
भयाक्रांत न होता
कभी ठहरना
किसी पल में
खुद के हाथ में नहीं |
|अंतिम पल ही है एक
जिस की जानकारी
किसी को नहीं
पर यहीं वह पल है
जिसकी बेचैनी
से प्रतीक्षा है |
तिल सा चटकता
महकता बेला गुलाब
चम्पा चमेली सा |
हर पल जीना चाहता
भयाक्रांत न होता
कभी ठहरना
किसी पल में
खुद के हाथ में नहीं |
|अंतिम पल ही है एक
जिस की जानकारी
किसी को नहीं
पर यहीं वह पल है
जिसकी बेचैनी
से प्रतीक्षा है |
आशा
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