ॐ नमः शिवाय
जग के पालक हो प्रभु शिव जी
आज के पुनीत अवसर पर
जग करता प्रणाम तुम्हें
शिव पार्वती की जोड़ी को
नजर ना लग जाए किसी की
हो बड़े दयालू भोले
हो तुम बहुत सरल सहज
अन्तर्यामी निर्मल मन के स्वामी
अन्तर्यामी निर्मल मन के स्वामी
बहुत जल्दी क्रोध दर्शाते
त्रिनेत्र खोल भस्म कर देते
सृष्टि के अवांछित तत्वों को
सरल स्वभाव है विशिष्टता
कंठ पर लिपटे विषधर
शीश पर गंगा का निवास
गरल पी सबका कष्ट हर लेते
नमन तुम्हें हे शिव शंकर
और पार्वती माता को
जग के भाग्य विधाता को |
आशा
आशा