जब से नर तन पाया है
है अभिमान मुझे यही
श्रेष्ठ योनी में जन्म लिया है
अब सारे कर्ज चुकाना है
पूर्व के जन्मों में लिए कर्जों के|
यह अभिमान नहीं है
प्रभु को किया शत शत नमन है
क्यों करें अभिमान ?
मनुज का चोला पहना है
उसकी का प्रतिफल है
है अभिमान मुझे यही
श्रेष्ठ योनी में जन्म लिया है
अब सारे कर्ज चुकाना है
पूर्व के जन्मों में लिए कर्जों के|
यह अभिमान नहीं है
प्रभु को किया शत शत नमन है
क्यों करें अभिमान ?
मनुज का चोला पहना है
उसकी का प्रतिफल है
मनुज योनी सर्वश्रेष्ठ मानी जाती
तभी क्यों करें अभिमान ?
तभी क्यों करें अभिमान ?
आशा |