तेरी निगाहें हैं झील सी गहरी
गहराई को नापा नहीं जा सकता प्रीत से लवरेज हैं वे
नजर अंदाज नहीं कर सकता
जरासी बात पर छलक जाती है
आंसू हैं अनमोल मोती से
उन को तोला नहीं जा सकता
है अजब सी कशिश उनमें
वही है विशेषता उन दौनों की
भोलापन उनसे छलकता
ना ही कोई दुराव न छल कपट
सीधी सादी हैं दोनों
वे आइना दिल की
जो सच है उसी का साथ देती हैं
तभी तो उन पर सदा
मर मिटने को जी चाहता है
शबनमी अश्रुओं को
चूमने को दिल चाहता है
उनमें कोई परिवर्तन न होता
जैसे हैं वैसे ही रहें
यही मेरा मन भी चाहता |
आशा