10 सितंबर, 2019

याद करोगे मुझको




याद करोगे हमको
जब हम ज़माना 
छोड़ जाएंगे
सारी बुराई भूल कर
 जब भी सोचोगे
हर शब्द कानों में गूंजेगे
अपने गुम हुए अस्तित्व की
हरबार याद दिलाएंगे
मन के किसी कौने में
जब भी झांकोगे
हम ही हम नजर आएँगे
है यही रीत दुनिया की 
जीते जी कद्र नहीं होती 
जाने के बाद ही यादें 
ताजी की जाती हैं 
बड़ी बड़ी अच्छाई
याद की जाती हैं |

आशा

खामोशी










दूर तक फैला सन्नाटा
सड़क पर कोई  नहीं  आता नजर
यह है   आतंक  का प्रभाव
या  मन में दहशत  का प्रतिफल
सहमें हुए  शब्द मौन हुए 
 बिखरे हैं मुंह में पर   निशब्द
 ओठों तक आ नहीं सकते
दहशतगर्दी इस हद तक पसरी  
श्वास लेना भी हुआ दूभर
रीते नयन तलाश रहे 
बिछुड़े हुए अपनों को
आसपास घरों में भी
 है खामोशी का आलम
जहां रहती थी सदा
 चहलपहल बचपन की
आम  आदमी  सहमा हुआ  है
पर चाहत है अमन चैन की
खामोशी में घुटन होती है
आखिर कब तक इसे सहन करेगा
सामान्य जन जीवन होगा
आपस में भाई चारा पनपेगा
खून खराबा समाप्त होगा |
 आशा

09 सितंबर, 2019

बहुत याद आओगे




गुलाब के फूल
 जब भी खिलेंगे 
 तो बहुत याद आओगे 
इतनी आसानी से
 मुझे न भूल पाओगे 
मैं कोई महक नहीं 
जो वायु के संग बह जाऊं 
हूँ तुम्हरे रंग में रंगी 
खुशबू में सराबोर 
है मेरा भी वजूद 
कहीं खोया नहीं 
पर तुम्हारे बिना
 कोई मेरा नहीं 
तुमसे ही महकेगी 
बगिया मेरी 
जब भी फूल खिलेंगे 
तो याद आओगे |
आशा



06 सितंबर, 2019

गुरू की शिक्षा (हाईकू )







तुम शिक्षक
हो तो वेतन भोगी
लेकिन दानी

माता के बाद
हे ज्ञान दाता गुरु
तुम्हें नमन

आपसे मिली
शिक्षा की धरोहर
अमूल्य निधि

हूँ जो आज मैं
आपका आशीष है
चरण स्पर्श

ज्ञान पुंज से
तिमिर दूर कर
प्रज्ञा चक्षु दो


आशा सक्सेना 

04 सितंबर, 2019

गणपति बप्पा





है स्वागत आगत गणनायक का
बहुत समय प्रतीक्षा करवाई
तब जाकर दिए दर्शन अबकी  
सोचा समझा दुःख दर्द प्रजा का
फिर की तैयारी जाने की
अभी अभी  तो आए थे
 स्थापना की थी मंदिर में 
इतनी जल्दी क्या है जाने की
सारे दुःख समेत चल दिए
मन में व्यथा लिए सब की
जल में समाधिस्थ हो रहे
मन की शान्ति जल में खोज रहे
अनंत चौदस को है बिदाई
सुख करता दुःख हरता की
बहुत खालीपन लगेगा
 आसन रिक्त  देख तुम्हारा
फिर से प्रारम्भ होगा वाट जोहना
अगले बरस बप्पा के आगमन का |
आशा