23 मई, 2020

क्षणिका




१-किसने कहा तुमसे
प्यार तुम्हारे नसीब में नहीं है
है मुझे पता  है वह बेशुमार
तुम्हें उसकी कोई  कद्र नहीं |

२-प्यार किया नहीं जाता
अनजाने में हो जाता है
पात्र हो या कुपात्र मन जिस पर आए
आज के युग में  सब चलता है |

३- यह है भाग्य का खेल
किसी से क्या कहना
हार जीत का सिलसिला
ऐसे ही चलता है |

४-जन्म मरण एक साथ
जब सुनने को मिलते हैं
मन में विरक्ति जाग्रत होती है
मन संसार से उचटता है |

५- कितनी अनहोनी घटनाएं
होती हैं आए दिन
ईश्वर परीक्षा लेता है
मनुष्य के धैर्य का  |

आशा

22 मई, 2020

नफरत की दीवार खिंची


 
खिच गई  दीवार नफरत की
 दो दिलों के बीच आपस में
 कैसे उसे  खँडहर कर पाएंगे
मलवे को दूर  हटाएंगे कैसे |
दिल में टूटा शीशा घुसा है
मन में मैल भीषण भरा है
रक्त का रिसाव बहुत हो रहा 
 उसे नियंत्रित कर पाएगे कैसे |
हर समय कोई न होगा मध्यस्थ 
आपस में बीच बचाव के लिए
 आपस में समझोते तक पहुंचेंगे कैसे 
सुलह सफाई  कर पाएंगे कैसे |
हालात बाद से बत्तर हुए है
अब कोई उम्मीद नहीं रही शेष
 उलझन से निजाद को   पाने की
 उसको हल करने की होगी पहल कैसे |
पहले कौन झुके कौन पहल करे
अभी तक निराकरण हो नहीं पाया
यूँही समय बरबाद करने से क्या लाभ
इसका कोई हल खोज पाएंगे कैसे |
आशा