मन अशांत
खोज रहा सुकून
चंद पलों का
जीवन राह
कठिन बहुत है
चल न पाए
मन कीपीड़ा
किस कारण से है
न पहचाना
यशोदा माता
नन्द बाना पिता हैं
मेरे श्याम के
आशा
कैसे रहते इस दुनिया
में अकेले
कोई तो चाहिए था साथ
के लिए
हमारे जैसी सोच का मालिक होता
हम कदम होता हर पल साथ
देता |
जीवन सरल नहीं है
जानता सुख दुःख पहचानता
इस दुनिया में रहने
के लिए जूझना पड़ता
संघर्ष के बिना कुछ
भी हांसिल नहीं होता
वर्तमान में सफलतम जीवन
जीने के लिए|
ईश्वर पर श्रद्धा का होना है आवश्यक
अंध विश्वास से दूरी
रख कर चलना होता
सामान्य सोच नहीं देता
यह सदबुद्धि
विरले ही होते योग्य और सफल जीवन में |
जो हर कष्ट सहन करने
की क्षमता रखते
वही सफल हो पाते इस
भवसागर में
यदि प्रभू का वरद
हस्त होता सर पर
ले हाथ में हाथ भवसागर को पार कर तर जाते |
आशा
झूठे वादों में उलझा कर
है यह कौन सी रीत
क्यूँ भरमाया उसे |
जब वादे पूरे कर न सके
फिर उन्हें परवान
हतेलियों की कहें
जीवन का इतिहास
बता रहीं है
आनेवाले कल में
क्या तुम्हारे भाग्य में
थोड़ी सी
आहट भी
देती दस्तक
दिल के दरवाजे
खुले रहते
जब तक देखता
सत्य बताता
सारे जीवन का सार
समेट रहा
चुनिंदा रेखाओं में
यह करिश्मा
नहीं तो और क्या है
चंद लकीरें
खेल रहीं
भाग्य से
बड़े प्यार
से |
आशा
१-सागर में है
खारा जल संग्रह
प्यासा पथिक
२-उफनता है
दुःख तो देजाता है
सुख कितना
३-मायूस हुआ
यह हाल देखते
मन द्रवित
४-मन दुखी है
त्रासदी देख कर
क्या किया जाए
५- बरसों बीते
दुःख सुख देखे थे
स्वप्न सजे थे
६-बेकसूर हूँ
कारण तो बताओ
क्या किया मैंने
आशा