पहली बार देखा
आकृष्ट हुआ
जब भी देखा उसे
किये इशारे
चिलमन की ओट
देखी झलक
छू न पाया उसको
तब भी मेरे
मन में फूल खिले
एहसास हुआ
मोहक सरूप का
भा गईऎसी
दिल में समा गई
मजबूती से
थाम लिया दामन
कहीं छूटे ना
अनोखा एहसास
जागा विश्वास
नए रिश्ते का भान
मन में जागा
छूने का मन हुआ
प्यार से उसे
भर लिया बाहों में
बंधन बांधा
मोहर समाज ने
लगाई जब
भय न रहा उसे
किसी ने टोका नहीं
बढ़ा साहस
अवगुंठन हटा
देखा उसको
अन्तस् में बसाया
प्यार जताया |
आशा
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