29 अक्तूबर, 2023

जीवन चक्र

 


जब दुनिया में हम आए,

 रोना बहुत आया था

जब धरती पर कदम रखा 

पर अन्य सब हुए प्रसन्न

ढोलक पर सोहर गाई गई

 नेग बाटे गए 

मिठाई बाटी गई

पर यह भूल गए जीवन है कितना कठिन

यह प्रसन्नता सब की है

 कुछ समय की

बचपन बीता मालूम ना पडा

रोना गाना सब चला 

किशोरावस्था  कब बीती ,

याद नहीं मुझको

यौवन में कदम रखते ही

जीवन की कठिनाई  दिखी 

अपने चारों ओर

कैसे इससे निजात पाएं .

.जीवन को सरल बनापाएं

दिखा बहुत कठिन

 कितनी सलाह मिलीं

पर सब की समस्या

 एक समान  नहीं होतीं

तब प्रभु का आश्रय लिया,

 इस जीवन से मुक्ति के लिए

अब मैंने सब को रोता पाया .

खुद हुआ प्रसन्न 

मुक्ति मार्ग पर जाकर  कर  |

आशा सक्सेना

जंगल में जुगनू

कालीअंधेरी रात में 

हम घूम रहे नजारा देख रहे 

बहुत सुन्दर दिखाई देता  

जुगनुओं  का उड़ना यहाँ वहां |

उनकी मंद मंद चमकती दिखाई देती 

उड़ने की प्रतिभा 

यही आकर्षण होता

उनके  जंगल में विचरण का |

जबआसमान में 

 तारे चमकते 

जूगनू भी साथ  देते 

रौशनी बढ़ा देते जंगल में  |

आशा सक्सेना 















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28 अक्तूबर, 2023

कोशिश हमारी

 जब साथ चले हम कदम हुए 

पर हम साया कभी न बन पाए 

अधिक दूर न चल पाए 

मन को खुशी ना मिल पाई |

यही रही अधूरी मन में बात 

कोशिश की हम ख्याल होने की 

उसमें भी सफल ना हो पाए 

कभी सोच नही पाए उसी की तरह |

हर बार अलग सब से नजर आए 

क्या कभी किसी के हमराज हो पाएंगे 

अपने को किसी से बांधेंगे 

उसके अनुरूप चल पाएँगे |

बार बार दिल को टीस सहने की 

आदत हो जाएगी 

पर इससे कैसे बचेंगे 

हमारी सारी कोशिश व्यर्थ हो जाएगी |

आशा सक्सेना 

27 अक्तूबर, 2023

उसने की भूल

 

उसने की भूल यही 

उसने कोई गलत कार्य नहीं किया

यह सोचा नहीं किसी ने बताया भी

पर गंभीरता से विचार नहीं किया

उन लोगों ने  भी उससे किनारा किया |

जब घर पर डाट पड़ी सब ने डराया

उसे  अपनी गलती का अहसास हुआ

क्षमा मांगी  सब से बार बार

यह किसकी गलती है खोजा नहीं |

आज तक अपनी भूल पर कायम रही

उसी कार्य  पर अडिग रही

सब का समझाना व्यर्थ गया

जब उनका कहा नहीं माना

आगे से अब भूल नहीं होगी |

क्या हुआ जब तुमसे दूर हुआ

क्या हुआ जब तुमसे दूर हुआ 

तुमसे पूंछा नही मन मेरा माना नहीं 

अब तक कोई निराकरण ना निकल पाया 

उसकी प्रतीक्षा रही हर पल |

यही कठिन समय दिखाई दिया 

अब समस्या हल हो कैसे 

मन बहुत पछताता है 

पास आते आते हल जब दूर हो जाता है |

अब तक हल है मुझसे दूर 

कभी पास आएगा या नहीं मुझे मालूम नहीं 

पर बिना हल खोजे कहीं भी चैन नहीं 

यही चैन मुझे जब मिल जाएगा 

मुझे सुकून आ जाएगा |

आशा सक्सेना 

26 अक्तूबर, 2023

हाइकु

 

 

१-वर्षा आई है

बहार बरसाई

मौसम ने

२-किसने कहा

 आत्म शक्ति नहीं है

मेरे भीतर 

 ३-यादतुम्हारी

जब मन को आई

मन खुश  था

४-कविता छुए 

मन की गहराई 

उसके भाव 

5-बचपन है 

अनमोल तुम्हारा 

बीते यादों में 


आशा सक्सेना 



24 अक्तूबर, 2023

दशानन कितने प्रभाव हर शीश में

 कहने को दसशीस से सजा है दशानन 

पर यह तो कभी देखा नहीं 

अन्दर क्या है 

हमने तो पढ़ा है उसके 

पांच शीश सुन्दर विचारों से भरे 

पर बाक़ी बचे बुराइयों में डूबे 

उनका ही संहार किया जाता हर वर्ष 

यही कहा जाता 

बुराइयों का वध होता हर वर्ष 

खुशियों  की  होती बढ़त  

बुराइयों के ऊपर  |

यही कारण है हर वर्ष दशहरा मनाने का 

खुशियों से बुराइयों  को हारने का |

सभी बहुत सजधज कर आते 

सब से मिलते जुलते सोना पत्ती देते 

राम की सवारी आती पूजन अर्चन उनका  होता 

रावण दहन करते मन को सुकून मिलता |

आशा सक्सेना