आँखें तेरे मन का दर्पण ,
चेहरा किताब का पन्ना ,
जो चाहे पढ़ सकता है ,
तुझको पहचान सकता है |
आँखें हैं या मधु के प्याले ,
पग-पग पर छलके जाते ,
दो बूँद अगर मैं पी पाता ,
आत्म तृप्ति से भर जाता |
तेरी आँखों का पानी ,
यह सादगी और भोलापन ,
बरबस खींच लाता मुझको ,
काले कजरारे नयनों की भाषा ,
मन की बात बताती मुझको |
उन में क्यूँ न डूब जाऊँ ,
आँखों में पलते सपनों को ,
तुझ में खोजूँ , मैं खो जाऊँ |
जब नयनों से नयन मिलेंगे ,
मन से मन के तार जुड़ेंगे,
अनजाने अब हम न रहेंगे ,
सुख दुःख को मिल कर बाटेंगे ,
साथ साथ चलते जायेंगे |
खुशियों से भरे ये नयना तेरे ,
जीवन में नये रंग भरेंगे ,
हर खुशी तेरे कदमों में होगी ,
हम दूर क्षितिज तक साथ चलेंगे |
आशा
बहुत सुन्दर आकांक्षा एवं बहुत प्यारी अभिव्यक्ति ! आपका हर मधुर स्वप्न साकार हो ! आमीन !
जवाब देंहटाएंआईये जानें .... मन क्या है!
जवाब देंहटाएंआचार्य जी
सुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंaise aakankshaye har man ki hoti hain..bahut sunder bhavo me dhaala he aapne aakankshao ko. sunder abhivyakti.
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