कुछ तो ऐसा है तुममें
तुम्हारी हर बात निराली है
कोई भावना जागृत होती है
एक कविता बन जाती है
लिखते-लिखते कलम न थकती
हर रचना कुछ कह जाती
मुझको स्पंदित कर जाती
है गुण तुममें सच्चे मोती सा
निर्मल सुंदर चारु चंद्र सा
एक-एक मोती सी
तुम्हारी लिखी हर कविता
कैसे चुनूँ और पिरोऊँ
फिर उनसे माला बनाऊँ
माला में कई होंगे मनके
किसी न किसी की कहानी कहेंगे
संग्रह उन सब का करूँगा
और रूप पुस्तक का दूँगा
हर कृति कुछ बात कहेगी
मन को भाव विभोर करेगी
तुम्हारी याद मिटने ना दूँगा
हर किताब सहेज कर रखूँगा |
आशा
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंये कविता तो बहुत ज्यादा अच्छी है :)
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर!! भावपूर्ण!
जवाब देंहटाएंbahut sundar kavita
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ! आपकी कविताओं के प्रशंसक कितनी दीवानगी के साथ आपकी कविताओं को प्यार करते हैं यह रचना इसकी मिसाल है ! बहुत खूब !
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