है कारण क्या परेशानी का
उदासी की महरवानी का
गर्मीं में अहसास सर्दी का
गहराती नफरत में छिपे अपनेपन का |
कभी आकलन न किया
जो कुछ हुआ उसे भुला दिया
फिर भी कहीं कुछ खटकता है
मन बेचारा कराहता है |
है कारण क्या
चाहता भी है जानना
पर दूर कहीं उससे
चाहता भी है भागना |
गहरी निराशा
पंख फैलाए आती है
मन आच्छादित कर जाती है
रौशनी की किरण कोइ
दूर तक दिखाई नहीं देती |
सिहरन सी होने लगती है
विश्वास तक
डगमगा जाता
मन आक्रान्त कर जाता |
क्या खोया कितना खोया
यह महत्त्व नहीं रखता
बस एक ही विचार आता है
क्यूँ होता है ऐसा
उसी के साथ हर बार |
आशा
आशा और निराशा के बीच ...डगमगाते मन की खूबसूरत प्रस्तुति ..........आभार
जवाब देंहटाएंगर्मीं में अहसास सर्दी का
जवाब देंहटाएंगहराती नफरत में छिपे अपनेपन का |
कभी आकलन न किया
जो कुछ हुआ उसे भुला दिया
मन के द्वंद्व को कहती अच्छी रचना
कभी आकलन न किया
जवाब देंहटाएंजो कुछ हुआ उसे भुला दिया
फिर भी कहीं कुछ खटकता है
मन बेचारा कराहता है |
Beautiful lines..
Loved it
क्या खोया कितना खोया
जवाब देंहटाएंयह महत्त्व नहीं रखता
बस एक ही विचार आता है
क्यूँ होता है ऐसा
उसी के साथ हर बार |
मन में उठती अनेक भावनाएं ....
सुंदर वर्णन ..
बहुत ही उम्दा लेखन और उत्तम शैली है आपकी लेखनी मे
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंआभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
man ke uha-poh ko darshati....bhawpoorn rachna.
जवाब देंहटाएंजीवन में स्वाभाविक रूप से आते हुये झंझावातों को कोमलता से अभिव्यक्ति दी है.अति-सुंदर.
जवाब देंहटाएंऐसा इसीलिये होता कि शायद आशा निराशा कि झूले में झूलना हर इंसान की नियति होती है और इससे बचा नहीं जा सकता ! मन की उथल-पुथल को खूबसूरती से अभिव्यक्त करती सुन्दर रचना ! बधाई !
जवाब देंहटाएंमन के द्वंद का खूबसूरत चित्रण किया है।
जवाब देंहटाएंअन्तर्मन के अंतर्द्वंद के बाद की स्थिति साँप-छछूंदर जैसी ही होती है|
जवाब देंहटाएंकहीं कुछ है, जो हमसे बात करता है तन्हाई में|
जो बन के अश्क़, आँखों से उतरता है तन्हाई में|
इसी का नाम है शायद, ज़मीरेआदमी यारो|
हमारे दिल में यां से वां गुजरता है तन्हाई में||
बधाई सुंदर प्रस्तुति के लिए|
बहुत सुंदर प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंआभार,
मन बेचारा कराहता है |
जवाब देंहटाएंहै कारण क्या
चाहता भी है जानना
पर दूर कहीं उससे
चाहता भी है भागना ||
bahoot khoob :)
:clap: :clap:
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वो स्कूल का गुज़रा ज़माना ||
बहुत सुंदर प्रस्तुति....बधाई
जवाब देंहटाएंविचारशील सृजन मनमोहक है सुन्दर कथ्य ,व शब्द संयोजन ,सराहनीय है ....शुक्रिया जी /
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रश्न है आपका आशा जी उत्तर के लिए दिल की गहराइयों में जाना होगा
जवाब देंहटाएंसत्य कहा....हादसे सहते सहते कराहता मन बस यही तो पूछता है बार बार.......
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