28 अगस्त, 2011

यह पड़ाव कब पार हो


जीवन की लंबी डगर पर
देखे कई उतार चढ़ाव
अनेकों पड़ाव पार किये
फिर भी विश्वास अडिग रहा |
कभी हार नहीं मानी
जीवन लगा न बेमानी
जटिल समस्याओं का भी
सहज निदान खोज पाया |
आशा निराशा के झूले में
भटका भी इधर उधर
कभी सफलता हाथ लगी
घर असफलता ने घेरा कभी |
अनेकों बार राह भूला
फिर उसे खोज आगे बढ़ा
ऊंची नींची पगडंडी पर
जीवन यूँ ही चलता रहा |
जीवन इतना दूभर होगा
इस अंतिम पड़ाव पर
 कभी सोचा न था
ना ही कल्पना की इसकी |
आज हूँ उदास ओर बेचैन
यह राह कब समाप्त हो
कर रहा हूँ इन्तजार
यह पड़ाव कब पार हो |

आशा




10 टिप्‍पणियां:

  1. जब तक जीवन है उतार-चड़ाव तो चलता ही रहेगा
    सुन्दर ....

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  2. जीवन में हमेशा सब अच्छा तो नहीं होता...धुप-छाओं का मिला-जुला रूप ही जीवन है ...
    उदास ह्रदय के उदगार व्यक्त करती ..सुंदर रचना ...!!

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  3. खूबसूरत जिन्दगी की परिभाषा

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  4. जीवन के हर पड़ाव को जैसी सकारात्मकता के साथ अभी तक पार किया है उसी उत्साह और उल्लास से आगे आने वाले पड़ाव भी पार होंगे ! भय और उदासी, कुण्ठा और निराशा को पल भर के लिये भी पास ना फटकने दें ! जो है, जितना है, जैसा है आनंद और संतोष से परिपूर्ण होना चाहिये बस यही मायने रखता है ! रचना सुन्दर है !

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  5. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना....

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  6. आदरणीय आशा माँ
    नमस्कार !
    ...बहुत प्यारी रचना है

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  7. प्रिय दोस्तों ,
    मेरे ब्लॉग को गूगल ने मिटा दिया है ,अत आपसे अनुरोध है की आप मेरे नए ब्लॉग www.pkshayar.blogspot.com पर पधार कर मेरा मार्गदर्शन करे ,
    तथा फोलोवर बनकर मुझे आश्रीवाद प्रदान करे .

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