सपनों की चंचलता बहुत कुछ
सागर की उर्मियों सी
भुला न पाई उन्हें
कोशिश भी तो नहीं की |
बार बार उनका आना
हर बार कोई संदेशा लाना
मुझे बहा ले जाता
किसी अनजान दुनिया में |
उसी दुनिया में जीने
की ललक
बढ़ने लगती ले जाती वहीँ
अचानक एक ठहराव आया
मन के गहरे सागर
में |
फिर चली सर्द हवा
उर्मियों ने सर उठाया
आगे बढ़ीं टकराईं
पर हो हताश लौट आईं |
यह ठहराव बदल गया
समूंचे जीवन की राह
अब न कोई स्वप्न रहे
ना ही कभी याद आए |
भौतिक जीवन की
जिजीविषा की
बेरंग होते जीवन की
यादें भर शेष रह गईं |
आशा
बहुत सुंदर!!!!
जवाब देंहटाएंसादर.
सच भौतिक जीवन में बस यादें ही शेष रह जाती हैं
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar prastuti,,
जवाब देंहटाएंapki baat ekdam sahi hai..
behtarin rachana:-)
भौतिक जीवन की
जवाब देंहटाएंजिजीविषा की
बेरंग होते जीवन की
यादें भर शेष रह गईं |बहुत ही गहरे और सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर भावपूर्ण रचना,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST ,,,, काव्यान्जलि ,,,, अकेलापन ,,,,
यादें भर ही शेष रह जाती हैं...
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता!
बहुत खूबसूरत रचना है ! यादें ही जीवन की अनमोल धरोहर होती हैं जो सदा साथ रहती हैं ! बहुत अच्छी रचना ! तराने सुहाने पर आपका पसंदीदा गीत डाला है मैंने ! उसे भी सुन लीजियेगा !
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना प्रस्तुति...आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंJeevan hai hi aisa...n yaadein jaati hain..aur kabhi kabhi aati bhi nahin...bahut sundar prastuti...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंbahut badhiya bhavabhivykti
जवाब देंहटाएंउर्मियों ने सर उठाया
जवाब देंहटाएंआगे बढ़ीं टकराईं....
यह ठहराव बदल गया
समूंचे जीवन की राह
सुंदर रचना....
सादर।
bahut sundar rachana...wah
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंभौतिक जीवन की
जवाब देंहटाएंजिजीविषा की
बेरंग होते जीवन की
यादें भर शेष रह गईं |
....बहुत गहन और सुन्दर अभिव्यक्ति...
भौतिक जीवन की
जवाब देंहटाएंजिजीविषा की
बेरंग होते जीवन की
यादें भर शेष रह गईं |......आशा जी बहुत ही गहन और सुन्दर अभिव्यक्ति...मेरे ब्लांग में आने के लिए आभार....