15 जून, 2013

मेरे पापा

माँ की ममता पिता का प्यार
पर अंतर बड़ा दोनों में
ममता की मूरत दिखाई देती 
पर पिता का प्यार छिपा रहता 
दीखता केवल अनुशासन |
लगता था तब बहुत बुरा 
जब छोटी सी बात पर भी 
डांट ही मिलती थी
भूले से भी प्रशंसा नहीं 
जब खुद पिता बन गया हूँ 
बच्चों की उलझने सुलझा रहा हूँ 
तभी जान पाया हूँ 
वे कभी गलत  न थे 
यदि तब रोकटोक न होती 
आज में इतना सक्षम न होता 
रोज याद आती है उनकी 
उनके अनुशासित दुलार की 
अपने सर पर
 उनके वरद हस्त की 
अब सोचता हूँ 
 मेरे पापा  थे सबसे अच्छे 
उनसा कोई  नहीं |
आशा









16 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर प्रस्तुति ! पिता की उपस्थिति ही घर में अनुशासन का वातावरण बनाती है और माता पिता के प्यार में एक संतुलन आ जाता है ! बहुत सुंदर रचना !

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  2. बहुत सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति आभार . मगरमच्छ कितने पानी में ,संग सबके देखें हम भी . आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN क्या क़र्ज़ अदा कर पाओगे?

    जवाब देंहटाएं
  3. उत्तर
    1. मेरे ख्याल से मेरे ब्लॉग पर word verifikeshan नहीं है टिप्पणी हेतु धन्यवाद |
      यदि सेटिंग में हो गया हो तो हटा दूंगी ||

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  4. बहुत सुंदर....भावाभिव्यक्ति...

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  5. ब्लॉग बुलेटिन की फदर्स डे स्पेशल बुलेटिन कहीं पापा को कहना न पड़े,"मैं हार गया" - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    उत्तर
    1. मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार |
      आशा

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  6. पितृ दिवस को समर्पित बेहतरीन व सुन्दर रचना...
    शुभकामनायें...

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  7. सबके पापा सख्त ही हों यह ज़रूरी तो नहीं :)पर हाँ अधिकतर घरों में ऐसा ही होता है मगर हमारे घर में उल्टा था माँ बहुत सख्त पापा एक दम मोम...:-) पितृ दिवस को समर्पित सुंदर रचना...

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  8. बहुत सुन्दर रचना...
    मन को छू गयी...

    सादर
    अनु

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  9. पिता ही हैं जो घर में अनुशासन बनाए रखते हैं .... सुंदर रचना

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