15 जुलाई, 2013

ऐ पुरसुकून जिन्दगी



ऐ पुरसुकून जिन्दगी
तुझे किसी की नज़र न लगे
क्या सुबह क्या शाम
तुझ में महक रहे |
सुबह तेरे नाम हो
शामेंगम ना साथ हो
मद मस्त चांदनी रात में 
वादे सवा का साथ हो
मन में खुशी रहे |
वादा खिलाफ़ी ना कोई  करे
तुझ में ही डूबा रहे
उसके ख्यालों में
बस तू ही तू रहे |

36 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी यह रचना कल मंगलवार (16-07-2013) को ब्लॉग प्रसारण : नारी विशेष पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  2. वाह बेहतरीन कविता, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  3. ये पुरसुकून जिंदगी
    तुझे किसी की नजर न लगे
    बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति .......!!

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  4. बहुत ही सुंदर आकांक्षा और बहुत ही मनभावन प्रस्तुति ! आनंद आ गया ! बहुत खूब !

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  5. आमीन इससे खूबसूरत जिंदगी और क्या होगी ।

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  6. बेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार (17-07-2013) को में” उफ़ ये बारिश और पुरसूकून जिंदगी ..........बुधवारीय चर्चा १३७५ !! चर्चा मंच पर भी होगी!
    सादर...!

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  7. बहुत खुबसूरत विचार ,जिंदगी ऐसा ही हो !आमीन!!
    latest post सुख -दुःख

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  8. वाह ..
    बहत्त खूब , बधाई आपको !

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  9. जिंदगी यूं ही सुकून से बीतती रहे ... आमीन ...

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  10. बहुत सुंदर, शुभकामनाये
    यहाँ भी पधारे
    http://saxenamadanmohan.blogspot.in/

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  11. टिप्पणी हेतु आभार सक्सेना जी |

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