07 अप्रैल, 2015

जीवन निरझरणी


धवल लकीरों सी धाराएं
दूर पहाड़ी पर दीखतीं
मंथर गति से आगे बढ़तीं
चाल श्वेत सर्पिनी सी
ज्यों ज्यों आगे को बढ़तीं
आपसमें मिलती जातीं
जल प्रपात के रूप में
ऊपर से नीचे को आतीं |
एक विचारक खोज रहा
झरने में गति जीवन की
जाग्रत होता उत्साह उसमें
झरने से उड़ती फुहारों से |
द्रुत गति प्रतीक लगती
दौड़ते भागते जीवन की
खुशियाँ अपनी खोजता
जल प्रपात के बहाव में |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Your reply here: