दूर पहाड़ी पर दीखतीं
मंथर गति से आगे बढ़तीं
चाल श्वेत सर्पिनी सी
ज्यों ज्यों आगे को बढ़तीं
आपसमें मिलती जातीं
जल प्रपात के रूप में
ऊपर से नीचे को आतीं |
एक विचारक खोज रहा
झरने में गति जीवन की
जाग्रत होता उत्साह उसमें
झरने से उड़ती फुहारों से |
द्रुत गति प्रतीक लगती
दौड़ते भागते जीवन की
खुशियाँ अपनी खोजता
जल प्रपात के बहाव में |
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