03 जून, 2015

कहर गर्म मौसम का

उफ ये गर्मी के लिए चित्र परिणाम


तपता सूरज
जलता तन वदन
लू के थपेड़े
करते उन्मन |
नहीं कहीं
 राहत मिलाती
 गर्म हवा के झोंकों से
मौसम की ज्यादती से |
बेचैनी बढ़ती जाती
कितनों की
जानें जातीं
बढ़ते हुए तापमान से |
यह है  तल्ख़ मौसम
भीषण गर्मीं का
त्राहि त्राहि मच जाती
कोई राहत न मिलाती |
भूले से यदि कोई बादल
आसमान में दीखता
वर्षा की कल्पना मात्र से
मन मयूर  हर्षित होता  |
पर ऐसा  भी न हो पाता
हवा के साथ साथ
बादल कहीं चला जाता
प्यास जग रह जाता |
सूरज की तपिश से
धरती पर दरारें
सूखे नदी नाले
 बदहाली का जाल बिछायें  |
सडकों पर पिघलता डम्बर
नंगे पैरों में छाले
ज्यादती है  मौसम की
शब्द नहीं मिलते
किस तरह बतलाऊँ |
आशा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Your reply here: