हरा लिबास और सुंदर मुखड़ा
जैसे हो धरती का टुकड़ा
नीली नीली प्यारी आँखें
झील सी गहराई उनमें
मैं देखता ऐसा लगता
झील सी गहराई उनमें
मैं देखता ऐसा लगता
जैसे झील किसी से करती बातें
हँसी तेरी है झरने जैसी
चाल तेरी है नदिया जैसी
मंद हवा सा हिलता आँचल
अवनि सा दिल तुझे दे गया
मुझको अपने साथ ले गया !
आशा
A very poetic and thoughtful poem indeed. very good. Keep it up.
जवाब देंहटाएंकल 31/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
आशाजी बहुत ही प्रेममई सुदर शब्दों में लिखी अनोखी रचना /बहुत बहुत बधाई आपको/
जवाब देंहटाएंplease visit my blog.
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बहुत खूब दिल के लेन - देन की सुन्दर परिभाषा |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना |