16 नवंबर, 2009

अवनि


हरा लिबास और सुंदर मुखड़ा
जैसे हो धरती का टुकड़ा
नीली नीली प्यारी आँखें
झील सी गहराई उनमें
मैं देखता ऐसा लगता
जैसे झील किसी से करती बातें
हँसी तेरी है झरने जैसी
चाल तेरी है नदिया जैसी
मंद हवा सा हिलता आँचल
अवनि सा दिल तुझे दे गया
मुझको अपने साथ ले गया !

आशा

4 टिप्‍पणियां:

  1. कल 31/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  2. आशाजी बहुत ही प्रेममई सुदर शब्दों में लिखी अनोखी रचना /बहुत बहुत बधाई आपको/


    please visit my blog.
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  3. बहुत खूब दिल के लेन - देन की सुन्दर परिभाषा |
    बहुत सुन्दर रचना |

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