04 जून, 2010

सृजन चित्रों का

मै हूँ एक चित्रकार ,
रंगों से चित्र सजाता हूँ ,
मन कि उड़ान को जी भर कर,
चित्रों में दर्शाता हूँ ,
हर रंग अनूठा लगता है ,
जब वह उभर कर आता है ,
मेरा अंतस दर्शाता है ,
पूरा केनवास सज जाता है ,
सारे रंग जब मिल जाते है ,
अद्भुत दृश्य बनाते हैं ,
वे जो चाहे दिखलाते हैं ,
समायोजन सिखलाते हैं ,
मैं कल्पना में खोया रहता हूँ ,
हर क्षण विचार पनपते हैं ,
उन सब के मिल जाने से ,
कुछ नया बन जाने से ,
आयाम सृजन का बढ़ता है ,
मन स्पंदित होने लगता है ,
हर दिन कुछ नया करता हूँ ,
नई कल्पना आती है ,
मस्तिष्क पर छा जाती है ,
मन पंछी सा उड़ता है ,
नई दिशा मिल जाती है ,
एक और कृति बन जाती है ,
इन्द्रधनुष के सारे रंग ,
जब आकाश पर दिखते हैं ,
अपना रंग बिखेरते हैं ,
दृश्य मनोरम होता है ,
जब भी मैं उसको देखूँ ,
अपनी सुध बुध खो बैठूँ ,
मैं बहुरंगी चादर ओढ़ ,
उसमें खुद को लिपटा पाऊँ ,
जितने भी रंग भरे मैंने ,
उनकी छटा निराली है ,
स्मृति पटल पर जब छाए ,
मेरे चित्र सजाती है ,
रूमानी मुझे बनाती है ,
तूलिका और रंगों का मिश्रण ,
उस पर कोरा केनवास ,
जब रंगों का संयोजन होता है ,
मुझे व्यस्त कर जाता है ,
मेरे मन की उड़ान को ,
और दूर ले जाता है |


आशा

6 टिप्‍पणियां:

  1. आप बहुत सुंदर लिखती हैं. भाव मन से उपजे मगर ये खूबसूरत बिम्ब सिर्फ आपके खजाने में ही हैं

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  2. एक चित्रकार की भावनाओं को सुंदरता से उकेरा है...अच्छी प्रस्तुति

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  3. आशा जी,
    क्या बात कही...
    मै हूं एक चित्रकार ,
    रंगों से चित्र सजाता हूं
    हर दिन कुछ नया करता हूं ,
    नई कल्पना आती है.....
    कल्पना में खोए चित्रकार को सब कुछ सुन्दर लगता है और वो हर दिन कुछ नया बनाता है...बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  4. आपकी तो कविता ही चित्र की तरह मनोरम और सुन्दर भावनाओं और बिम्बों के रंगों से परिपूर्ण है ! सुन्दर शब्द संयोजन और अभिव्यक्ति के लिए बधाई !

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