18 अगस्त, 2010

क्या खोया क्या पाया मैंने


क्या खोया क्या पाया मैने
 आकलन जब भी किया 
सच्चाई जानना चाही 
मैं और उदास हो गयी 
बहुत खोया कुछ ना पाया
जब भी पीछे मुड़ कर देखा
लुटा हुआ खुद को पाया 
जाने कितने लोग मिले
केवल सतही संबंधों से
जिनके चहरे खूब खिले
यह सब मैने नहीं चाहा
अपनों को ही अपनाया
मन से सब का अच्छा चाहा
पर आत्मीय कोई ना पाया
जूझ रही हूं जिंदगी से
कुछ अच्छा नहीं लगता
चारों और  अन्धेरा लगता 
और उदासी छा जाती है
सोचती हूं ,विचारती हूं
लंबी उम्र बनी ही क्यूँ
यदि निरोगी काया होती
शायद तब अच्छा लगता
पर इससे हूं दूर बहुत
हर ओर वीराना लगता है
फिर भी मन को छलती हूं
देती हूँ झूटी सांत्वना
कभी तो समय बदलेगा
कोई अपना होगा
निराशा नहीं होगी
आशा का दीप जलेगा 
आशा

9 टिप्‍पणियां:

  1. यही ज़िन्दगी है……………हर चाह न पूरी करती है …………यही विडंबना है।

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  2. कुछ अच्छा नहीं लगता ,
    सब तरफ अन्धेरा लगता है ,
    और उदासी छा जाती है ,
    सोचती हूं ,विचारती हूं ,
    लंबी उम्र बनी ही क्यूँ ,
    यदि निरोगी काया होती ,
    शायद तब अच्छा लगता ,
    पर इससे हूं दूर बहुत ,
    हर ओर वीराना लगता है ,
    फिर भी मन को छलती हूं ,
    झूटी सांत्वना देती हूं ,
    कभी तो समय बदलेगा ,
    कोई अपना होगा ,
    निराशा नहीं होगी ,
    आशा का दीप जल पाएगा |
    ... Maa ji aapkee gahan vedana se bhari kavita padhkar man behad dukhit huya... Aapne apne peedha ko vykt kiya hai... jiska koi nahi uska upar wala hota hai.. Ham bhi aapke hai aur apne saath se mahsoos kijiyega.. bus door aur dusare desh pradesh ke hai to kya....
    Aapka ka nam hi logo mein aasha ka sanchar karna hai...

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  3. जीवन तो आगे चलने का नाम है , अगर हम पाया याद रखें ...और खोये हुए को नजर-अंदाज़ करने की कोशिश करें तभी आगे बढ़ सकते हैं , मन की उदासियों को आपने शब्द दे दिए हैं ...कामना करती हूँ कि आप जीवन का उजला पक्ष देख सकें , जिसके हाथ में लेखनी हो उसको तो वैसे ही एक दिशा मिल जाती है ।

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  4. समय को तो बदलना ही है,
    जब आशा न रही तो निराशा भी नहीं रहेगी।
    उदासियां भी नहीं रहेगी।

    आभार

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  5. बस जीवन में उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना चाहिए ..अच्छी प्रस्तुति

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  6. ऐसी रचनायें मन की गहन उथल पुथल को दर्शाती हैं ! आशा-निराशा जीवन में धूप छाँव की तरह आती जाती रहती हैं यह तो सत्य है लेकिन निराशा के प्रभाव में आप हर रिश्ते को नकार दें या अनदेखा करें यह उचित नहीं है ! आँखें खोल कर देखिये अपने आस पास प्यार करने वालों की और सच्चे हितैषियों की इतनी बड़ी भीड़ पाएंगी कि आप उसे सम्हाल भी नहीं पाएंगी !

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  7. आशा जी आपने मेरा ब्लाग विजट किया धन्यवाद । आपकी कवितायें जिन्दगी के नजदीक की है जो लोग दिल से लिखते है उन्हे पढना अच्छा लगता है। कभी किसी को मुकम्मल जहां नही मिलता जो भी हमारे पास वह ईश्वर की देन मान उसी में जीवन जीना होता है । मेरा अन्य ब्लाग जीवनधारा आपको जरूर पसन्द आयेगा ।
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