आदित्य की प्रथम कीं ,
भरती है जीवन ऊर्जा से ,
कलकल बहता जल सरिता मै ,
सिखाता सतत आगे बढना ,
जल स्त्रोत सिखाता है ,
कपट ह्रदय मै कभी न रखना ,
निर्मल जल से सदा रहना ,
कोकिला की कुहुक कुहुक ,
देती सन्देश मीठी वाणी का ,
हरी भरी वादी कहती ,
सदा विहसते रहना ,
शाम ढले पक्षी समूह ,
जब आसमान मै करते विचरण ,
लगते बहुत अधीर ,
गंतव्य तक पहुंचने के लिए ,
उन्हीं दीख लगता है ,
द्वार पर बैठ राह कोइ देख रहा ,
उसके भी धर लौटने की ,
चाँद चांदनी ओर आकाश ,
जिसमे दिखती आकाश गंगा ,
उसमे चमकते तारे अनेक ,
होता परिचय प्राकृतिक सौंदर्य का ,
प्रकृति की अनुपम छटा ,
हर और दिखाई देती है ,
कुछ न कुछ सीख देती है ,
जो होती है बहुत अमूल्य ,
प्रकृति से छेड़छाड ,
दुःख से भर देती है ,
पर्यावरण का संकल्प ।
बहुत महत्व रखता है ,
जो भागीदार होता इसका ,
वृहद कार्य करता है |
आशा
प्रकृति की अनुपम छटा ,
जवाब देंहटाएंहर और दिखाई देती है ,
कुछ न कुछ सीख देती है ,
जो होती है बहुत अमूल्य ,
प्रकृति से छेड़छाड ,
दुःख से भर देती है ,
हां हर तरफ़ इन्सान अपनी स्वार्थ-पूर्ति के लिये प्रकृति के साथ छेड़छाड़ ही नही कर रहा, बल्कि उसे नष्ट करने पर तुल गया है. सुन्दर कविता.
आपने अपने अनुपम काव्य में
जवाब देंहटाएंविभिन्न प्रतीक व् उदाहरण देकर
जीवन-दर्शन समझाने का कार्य किया है
जो अनुकरणीय है .
उत्तम !
पर्यावरण का संकल्प ।
जवाब देंहटाएंबहुत महत्व रखता है ,
जो भागीदार होता इसका ,
वृहद कार्य करता है |..
Truly inspirational. !
जीवन दर्शन पर सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंप्रकृति की अनुपम छटा में छिपा जीवन दर्शन बखूबी उकेरा आपने...बधाई.
जवाब देंहटाएं____________________
'शब्द-सृजन..." पर आज लोकनायक जे.पी.
आपने सच कहा ! प्रकृति का हर रूप सार्थक सन्देश और प्रेरणा देता है बस उस सन्देश को ग्रहण करने की समझ होना ज़रूरी है ! एक प्रेरणाप्रद और सार्थक कविता !
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