27 अक्टूबर, 2010

है अनूठा जलनिधि,

है अनूठा जल निधि
कभी शांत तो कभी रौद्र
जब भी शांत होता है
मन भावन दृश्य होता है
लहरों का आना जाना
फेनिल जल का तट छू जाना
सीपी घोंगे ,जाने क्या क्या
किनारों पर ही छोड़ जाना
उनका संचय अच्छा लगता है |
मछुआरों की नौकाएं
गहरे समुद्र तक जातीं हें
करती एकत्र सागर संपदा
देती संतुष्टि माझी को
जब शाम होने लगती है
सूरज अस्ताचल का
रुख करता है
तभी लौटती नौकाएं
जल पर तैरती उतरातीं
बार बार हिचकोले लेतीं
स्पर्धा करतीं लहरों से
दृश्य मनोहर लगता है |
बहुत दूर समुन्दर में
जहाज का मस्तूल
दिखाई देता है
मानो वह जहाज को
अपनी गोद में लिए बैठा है|
विश्रान्ति के पलों में माझी
खो जाता है सपनों में
तोयधि का गर्जन तर्जन
उसे विचलित नहीं करता ,
लहरों का साथ यदि न हो ,
उसे अच्छा नहीं लगता |
जब होता सागर अशांत
बड़ी बड़ी ऊंची लहरें
टकरातीं जब चट्टानों से
,वह अट्टहास करता है
जब कोई उत्तंग लहर
टकरा कर तट से
लौट रही होती
और एक अन्य लहर
उस पर से गुजरती है
दृश्य जलप्रपात सा दिखता है |
नाव समुन्दर में डालना
तब सरल नहीं होता
यदि टकरा जाए लहर से
फिरसे आ लगती है तट पर
कई बार प्रयत्न करते माझी
सफलता तभी मिल पाती है
नौका समुद्र में जा पाती है |
जब समुद्र उग्र होता है
अपना आपा खो देता है
तभी कहर टूटता है
हानि होती जन धन की |
फिरभी विशालता उसकी
,कई रहस्य समेटे रहती है |
उस अथाह जल राशी में
है अनूठा आकर्षण
बार बार खींच ले जाता
है विपरीत भावों का संगम
कभी शांत तो कभी उग्र |
छिपी अपार संपदा इसमें
कई लोगों को जीवन देता है
पर यदि आपा खो बैठे
कई जीवन हर लेता है |
आशा







,

6 टिप्‍पणियां:

  1. महासागर के शांत और अशांत दोनों ही रूपों का बहुत प्रभावशाली चित्रण किया है ! सच है इतने रहस्य समेटे इस जलनिधि के प्रति हमारा आकर्षण कभी कम नहीं होता ! बहुत अच्छी रचना ! बधाई !

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  2. 2/10

    भाव तो हैं किन्तु कविता कहाँ है ?
    बेहतर होगा कि आप गद्य में कुछ लिखें वो ज्यादा असरदार होगा.

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  3. समुद्र के माध्यम से मन के भावों को भी कहा है ..सुन्दर अभिव्यक्ति

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  4. आदरणीय आशा जी
    आपका सन्देश प्राप्त हुआ.
    ऐसा कभी भी मत सोचियेगा कि आपको हतोत्साहित कर रहा हूँ. आप तो स्वयं में ही आशा हैं. किसी की क्या मजाल जो आपको हतोत्साहित कर सके.
    पूर्व में मेरे कहने का आशय मात्र इतना था कि अपने मनोभावों को कलमबद्ध करने के लिए कविता कोई शर्त नहीं है. आप डायरी की तरह अथवा संस्मरण की तरह अपने विचारों को लिख सकती हैं. वो भी दिलों तक पहुंचेगा.
    मेरे द्वारा मूल्यांकन पर किंचित भी हताश न हों.

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