28 अक्तूबर, 2010

हो शरद पूनम की रात

हो शरद पूनम की रात
और सर पर हो
माँ शारदे का हाथ
स्वर्णिम आभा होती है
होती है वर्षा अमृत की
उससे जो सुख मिलता है
कैसे विचारों में ढालूँ उसे
उस अदभुद दृश्य को
कैनवास पर उतारूं कैसे
चांद जब उतरता आंगन में
खुशियों से भर देता आंचल
उसे देख उत्पन्न भाव,
को कैसे अभिव्यक्ति दूं
शब्द नहीं मिलते
तब वाग देवी समक्ष होती है
कलम में लगी जंग दूर होती है
कुछ नया लिखने के लिए
अंतरद्वंद बढने लगता है
और जंग विचारों की
थमने का नाम नहीं लेती
कुछ नया सृजन होता है
 सुकून मन को मिलता है |

आशा

6 टिप्‍पणियां:

  1. कलम में लगी जंग दूर होती है ,
    कुछ नया लिखने के लिए ,
    अंतरद्वंद बढने लगता है ,
    और जंग विचारों की ,
    नया रूप ले लेती है |

    yeh hai rachna kamal ki lekhni badhai

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  2. आप पर तो माँ शारदा का वरद हस्त है ....बहुत सुन्दर

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  3. शरद पूनम की उजली रात हो या अमावस की काली रात आपके हृदय में तो भावनाओं का सैलाब उमड़ता रहता है ! माँ शारदे का वरद हस्त सदैव आपके सर पर होता है ! बस आप लिखती रहिये और अपने प्रशंसकों को लाभान्वित करती रहिये ! सुन्दर प्रस्तुति ! बधाई एवं आभार !

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