हो शरद पूनम की रात
और सर पर हो
माँ शारदे का हाथ
स्वर्णिम आभा होती है
होती है वर्षा अमृत की
उससे जो सुख मिलता है
कैसे विचारों में ढालूँ उसे
उस अदभुद दृश्य को
कैनवास पर उतारूं कैसे
चांद जब उतरता आंगन में
खुशियों से भर देता आंचल
उसे देख उत्पन्न भाव,
को कैसे अभिव्यक्ति दूं
शब्द नहीं मिलते
तब वाग देवी समक्ष होती है
कलम में लगी जंग दूर होती है
कुछ नया लिखने के लिए
अंतरद्वंद बढने लगता है
और जंग विचारों की
थमने का नाम नहीं लेती
कुछ नया सृजन होता है
सुकून मन को मिलता है |
थमने का नाम नहीं लेती
कुछ नया सृजन होता है
सुकून मन को मिलता है |
आशा
कलम में लगी जंग दूर होती है ,
जवाब देंहटाएंकुछ नया लिखने के लिए ,
अंतरद्वंद बढने लगता है ,
और जंग विचारों की ,
नया रूप ले लेती है |
yeh hai rachna kamal ki lekhni badhai
आप पर तो माँ शारदा का वरद हस्त है ....बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंye kashmkash kaisee sunder abhivykti.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर|
जवाब देंहटाएंशरद पूनम की उजली रात हो या अमावस की काली रात आपके हृदय में तो भावनाओं का सैलाब उमड़ता रहता है ! माँ शारदे का वरद हस्त सदैव आपके सर पर होता है ! बस आप लिखती रहिये और अपने प्रशंसकों को लाभान्वित करती रहिये ! सुन्दर प्रस्तुति ! बधाई एवं आभार !
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता........
जवाब देंहटाएंउम्दा पोस्ट !!