30 दिसंबर, 2010

एक वर्ष और बीत गया


एक वर्ष और बीत गया
कुछ भी नया नहीं हुआ
हर बार की तरह इस वर्ष भी
नया साल मनाया था
रंगारंग कार्यक्रमों से सजाया था
खुशियाँ बाँटी थीं सब को
कठिन स्थितियों से जूझने की
बीती बातें भुलाने की
कसमें भी खाई थीं
पर पूरा साल बीत गया
कोई परिवर्तन नहीं हुआ
ना तो समाज में, ना ही देश में
ओर ना ही प्रदेश में
एक ही उदाहरण काफी है
प्रगति के आकलन के लिए
सड़कों पर डम्बर डाला था
कुछ नई भी बनाईं थीं
बहुत कार्य हुआ है
बार-बार कहा गया था
एक बार की वर्षा में ही
सारा डम्बर उखड़ गया
रह गए बस ऊबड़ खाबड़ रास्ते
गड्ढे उनपर इतने कि
चलना भी दूभर होगया
महँगाई की मार ने
भ्रष्टाचार और अनाचार ने
सारी सीमाएं पार कीं
जीना कठिन से कठिनतर हुआ
पर स्वचालित यंत्र की तरह
आने वाले कल का स्वागत कर
औपचारिकता भी निभानी है !


आशा

10 टिप्‍पणियां:

  1. पते की बात लिखी है -
    अच्छे की उम्मीद रख कर नववर्ष का स्वागत करते हैं -
    नववर्ष की शुभकामनाएं

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  2. आने वाला वर्ष भ्रष्टाचार से मुक्त हो, इसी मंगल कामना के साथ आप को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ|

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  3. बस जी औपचारिकता निभा लें यही काफी है ..

    नव वर्ष की शुभकामनायें

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  4. आदरणीय आशा माँ
    नमस्कार !
    बहुत कटु सत्य..
    यही शुभकामना है कि नववर्ष आपके लिए मंगलमय हो ...

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  5. Aapki kavita me desh ka haal saf-saf jhalkata hai.. Yahi asha kar sakte hain ki shayad kuchh sudhar ho jaye.. isee ummeed ke sath aapko nav varsh ki hardik shubhkamnayen...

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  6. सटीक पोस्ट!
    आपको नव वर्ष मंगलमय हो!

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  7. वास्तव में नये वर्ष का स्वागत एक औपचारिकता निभाने जैसा ही रह गया है ! मन आशंकित तो रहता ही है ! लेकिन कामना यही है कि नया साल आप सभी के लिये हर्ष और उल्लास से परिपूर्ण हो और स्वास्थ्य, संतोष और सुख समृद्धि की ढेर सारी सौगातें लेकर आये ! नया साल आप सभी को बहुत-बहुत मुबारक हो !

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